रविवार, 9 सितंबर 2012

सनकी और क्रूर सम्राट ईवान
ईवान चाहता था कि वह इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ से शादी करे पर इसका अंजाम वह जानता था इसलिए उसने इंग्लैंड के बेहद संभ्रांत परिवार के लार्ड हरिंगटन की पुत्री मैरी के पास प्रस्ताव भेजा जिसे उसने तुरंत अस्वीकार कर दिया। इससे ईवान बेहद झुंझला गया
वि इतिहास में ऐसे तमाम तानाशाह हुए हैं जिनकी वजह से आम जनता ही नहीं, उनके परिजनों को भी यातनामय जीवन जीना पड़ा। सत्ता के नशे में चूर इन लोगों की निर्ममता की गाथाएं जब भी सुनाई जाती हैं, तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह जाती है। ऐसा ही एक व्यक्ति था रूस का जार (राजा) ईवान (चतुर्थ) क्सीलिविच, जिसके कारनामों ने उसके नाम के साथ ‘खौफनाक’ शब्द जोड़ दिया। ईवान का जन्म 25 अगस्त 1530 को हुआ था। ईवान के दादा ईवान तृतीय मास्को के ग्रैंड ड्यूक थे। उसके पिता वासिल बाद में ग्रैंड ड्यूक बने । वासिल की मृत्यु काफी जल्दी ही हो गई। इस प्रकार मात्र तीन वर्ष की अवस्था में ईवान को मास्को का राजा बनाया गया। उसकी मां हेलन राजकाज देखती थी। उस समय मास्को में बोयर वंश का राजशाही पर गहरा प्रभाव था और इन लोगों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए 1538 में हेलन को जहर देकर मार दिया। उस समय ईवान मात्र आठ साल का था इसलिए सत्ता पूरी तरह बोयर वंश के हाथ में आ गई। पर ईवान को पता था कि मास्को का असली शासक वह है। 1544 में जब वह मात्र 14 साल का था तो उसने बोयर वंश को दरकिनार करते हुए स्वयं को ‘राजा’ घोषित कर दिया। उधर, बोयर भी ईवान के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहे और ईवान तमाम मुसीबतों में घिरता व निकलता रहा। इसीलिए वह गुस्सैल हो गया और हर व्यक्ति उसे अपना दुश्मन नजर आने लगा। 16 जनवरी 1547 जब ईवान सिर्फ 17 साल का था, उसने अपने को पूरे रूस का जार घोषित कर दिया। इससे पहले किसी ने भी इतनी हिम्मत नहीं दिखाई थी। यही नहीं, उसने अपने को ईर का प्रतिनिधि भी घोषित कर दिया। उसने कहा कि वह महान रोमन सम्राट अगस्तस सीजर का वंशज है। जार बनते ही उसने बोयर वंश के सभी लोगों को यातनाएं देकर मरवा डाला। इसके बाद उसने अपने आसपास उन्हीं लोगों को रखा जो उसका भला चाहते थे। 1575 में रूस के बड़े इलाके में अकाल पड़ा। गरीबों को लगा कि मास्को में उन्हें अनाज जरूर मिल जाएगा। जल्द ही मास्को में अकालग्रस्त लोगों का समूह उमड़ पड़ा। ईवान ने सभी को भाग जाने की चेतावनी दी पर जब वे नहीं गए तो उसने भिखारियों व अकालग्रस्त लोगों को सबक सिखाने की सोची। उसने मुनादी करवा दी कि सभी शहर के चौक में इकट्ठा हों जहां पर अनाज बंटेगा। भूखी जनता वहां पर इकट्ठा हो गई तो उसने सैनिकों को हुक्म दिया कि सभी को मारकर नदी में फेंक दें। सैनिकों ने आदमियों, महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों को तलवारों से काटना शुरू कर दिया। सैनिक तभी रुके, जब हजारों लोग मारे जा चुके थे। एक बार स्कोब प्रांत के कुछ सभ्य व प्रतिष्ठित नागरिक उनसे मिलने आए ताकि प्रांत के प्रशासन की निरंकुशता के बारे में ईवान को बता सकें। पर सनकी ईवान ने उन सभी की दाढ़ियां जलवा दीं, फिर सभी के सिर पर खौलता पानी डलवा दिया। वह उन्हें मारने ही जा रहा था, तभी गिरजाघर का घंटा टूट गया। सभी ने इसे भारी अपशगुन माना और ईवान ने भी अनहोनी के डर से सभी को छोड़ दिया। ईवान के किस्से इतने मशहूर हो चु के थे कि राजघराने की कोई भी राजकुमारी उससे शादी नहीं करना चाहती थी। 1500 में उसने पोलैंड के राजा अगस्तस की बहन कैथरीन के पास विवाह प्रस्ताव भेजा। कैथरीन ने तुरंत ही प्रस्ताव ठुकरा दिया और फिनलैंड के ड्यूक जॉन से शादी कर ली। ईवान ने तुरंत ड्यूक के भाई तथा स्वीडन के सम्राट एरिक को धमकाया कि वह जॉन और कैथरीन को गिरफ्तार करे वरना नतीजा भुगतने को तैयार रहे। एरिक ने यही किया पर जल्द ही उसे सत्ता से बेदखल कर दिया गया और कैथरीन व जॉन कैद से आजाद हो गए। ईवान चाहता था कि वह इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ से शादी करे पर इसका अंजाम वह जानता था इसलिए उसने इंग्लैंड के बेहद संभ्रांत परिवार के लार्ड हरिंगटन की पुत्री मैरी के पास प्रस्ताव भेजा जिसे उसने तुरंत अस्वीकार कर दिया। इससे ईवान बेहद झुंझला गया। सनकीपन के बावजूद ईवान ने राज्य विस्तार के तमाम कार्य किए। 1550 में उसने राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलवाई व 1551 में उसने सभी अधिकारियों को 100 नियम लिखकर दिए, जो जनता के लिए लाभकारी थे। 1552 में उसने काजान और ऐस्ट्रारब्रान जैसे पड़ोसी राज्यों को जीत लिया। 1557 व 1582 में उसने लिवोनिया तथा एस्टोनिया पर भी कब्जा करना चाहा पर पोलैंड व स्वीडन द्वारा कड़ी टक्कर दिये जाने पर उसे पीछे हटना पड़ा। अपनी किसी सनक की वजह से वह अपने बेटे की गर्भवती पत्नी से चिढ़ गया और जब इस बेटे ने अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश की तो उसने उसे इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि उसे बुखार आ गया और तीन दिन बाद ही वह मर गया। बेटे की मौत से ईवान इतना दुखी हुआ कि काफी देर शव से लिपटकर रोता रहा। वह जिन लोगों से छुटकारा पाना चाहता था, उन्हें मठों में भिजवा देता था। यहां उसके सिपाही जाकर उसकी हत्या कर देते थे। इस तरह उसने दस हजार लोगों को मरवाया। उसकी दयालुता भी सनक भरी होती। वह किसी गांव या कस्बे पर कब्जा करता तो वहां के लोगों को मरने की बजाय वहां से भगा देता। उसने दो बार घोषणा की कि वह गद्दी छोड़ देगा। 1564 में तो वह महल का कीमती सामान व कुछ विस्त सैनिक लेकर अलेक्जेट्रोवास्किया नामक स्थान पर चला गया। उसे हमेशा यह डर सताता रहता कि उसकी कोई हत्या कर देगा। इसी शक ने उसका जीना दूभर कर दिया। उसने आसपास के कई सम्राटों को यह संदेश भिजवाया कि अगर उसका तख्तापलट जाए तो कृपा कर उसे शरण दें। 17 मार्च 1584 को जब इस सनकी सम्राट की मृत्यु हुई तो दरबारियों से लेकर आम जनता तक ने राहत की सांस ली।
इन्दिरा

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