खजराना : सबसे बड़े गणोश
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. अलावा, अंजू डोडिया की कलाकृति ‘गार्डन ऑफ कैपलरीज’ का मूल्य 80 हजार से 1.2 लाख अमेरिकी डॉलर की करीब है और इसे 2005 में तैयार किया गया था। टीवी संतोष की कलाकृति ‘स्कार्स ऑफ एन एन्शेंट एरर’ का दाम 1.0 से 1.5 लाख अमेरिकी डॉलर है। जॉन विकिंस ऐसे भारतीय कलाकार हुए हैं जिनकी प्रख्यात कलाकृतियां हैं, ‘गॉसिप’, ‘स्नेहा-विलेज बेले’ और ‘मार्केट सेलर।’ मराठी कलाकार बीएस गाएतोंडे की बेनामी पेंटिंग को दुबई के एक कलाप्रेमी ने 92 लाख रुपए में खरीदा। आंकड़े बताते हैं कि 2007 में सॉदबी ने भारतीय कलाकार रॉकिब शॉ की पेंटिंग ‘गॉर्डन ऑफ अर्थली डिलाइट्स’ को 21 करोड़ में बेचकर इतिहास रच दिया। अनीश कपूर की एक पेंटिंग 28 लाख डॉलर, टीवी संतोष की कलाकृति डेढ़ लाख डॉलर में बिकी। इसी पंक्ति में चिंतन उपाध्याय, रियास कोमू, बोस कृष्णामचारी, अपर्णा कौर, युसूफ अरक्कमल, अतुल डोडिया, जोगेन चौधरी, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में कई धार्मिक स्थल हैं जिनमें से सबसे अधिक ख्याति प्राप्त है खजराना का गणोश मंदिर। यहां दुनिया की सबसे बड़ी गणोशजी की प्रतिमा है जहां देश-विदेश तक से श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं। इस मंदिर का निर्माण होल्कर राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई मन्नतें भगवान श्री गणोश अवश्य पूरी करते हैं। मंदिर के पास ही मस्जिद भी है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित नाहर सैयद की दरगाह पर भी मंदिर की तरह देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दान औ र प्रार्थना के लिए आते हैं। मंदिर का परिसर काफी भव्य और मनोहारी है। परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त तैंतीस छोटे-बड़े मंदिर और हैं। मुख्य मंदिर गणोशजी का है और इसके साथ-साथ शिव और दुर्गा माता का भी मंदिर है। इन तैंतीस मंदिरों में अनेक देवी देवताओं का निवास है। मंदिर परिसर में एक बहुत पुराना पीपल का पेड़ है। इसे भी मनोकामना पूर्ण करने वाला पेड़ माना जाता है। यहां भगवान शनि का भी मंदिर है। जो भी श्रद्धालु गणोशजी की पूजा करने आते हैं, वे भगवान शनि को तेल जरूर चढ़ाते हैं। नया वाहन हो, दुकान हो या फिर मकान- भक्त सबसे पहले यहां आकर सिंदूर का तिलक करना नहीं भूलते। इस शहर में होने वाले सभी धार्मिक औ र सांस्कृतिक आयोजनों का खजराना गणोश को आमंतण्रदिये बिना अधूरा माना जाता है। मंदिर का निर्माण 1875 ई. में इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था। इसे बनाने में ईट, बालू, चूना और मेथी के दाने का प्रयोग किया गया था। इसमें सभी तीर्थ स्थानों का जल मंगाया गया था। काशी, अयोध्या, अवंतिका और मथुरा की मिट्टी के साथ घुड़साल, हाथीखाना, गोशाला की मिट्टी और रत्नों में हीरा, पन्ना पुखराज, मोती, माणिक आदि का भी समावेश है। इस मंदिर को बनाने में करीब ढाई साल लगे थे। इसमें गणपति जी की आठ मीटर ऊंची वि की सबसे विशाल प्रतिमा है। पौराणिक कथा के अनुसार इंदौर के एक नागरिक ने सपने में भगवान गणोश को देखा तथा दूसरे दिन सुबह ही उन्होंने गणोशजी की मूर्ति स्थापित करने की तैयारियां शुरू कर दीं। भगवान गणोश की विशाल प्रतिमा के कारण ही इस मंदिर का नाम बड़ा गणपति मंदिर रखा गया। इस बड़े गणपति को साल में चार बार चोला चढ़ाया जाता है। चोला को एक बार चढ़ाने में 15 दिन लग जाते हैं। यह चोला एक मन का होता है और इसमें 25 किलो ग्राम सिंदूर और 15 किलोग्राम घी का मिशण्रहोता है। मंदिर के दर्शन खजराना मंदिर में मांगी मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु यहां आकर भगवान गणोश को लड्डुओं का भोग लगाते हैं। मंदिर में ऐसे तो प्रत्येक दिन पूजा और आरती होती है लेकिन यहां पर बुधवार के दिन विशेष पूजा और आरती की जाती है। इस आरती में शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर की लोकप्रियता इस कदर है कि कई चैनलों पर पूजा आरती का लाइव प्रसारण भी किया जाता है। इस मंदिर में चढ़ावे को लेकर माना जाता है कि नकद चढ़ावे के मामले में खजराना मंदिर मध्य प्रदेश के कई मंदिरों से काफी आगे है। शिरडी साई बाबा, तिरुपति के भगवान वेंकटेर मंदिर की तरह अब श्रद्धालु खजराना के भगवान गणोश का चढ़ावा भी ऑनलाइन चढ़ाने लगे हैं। अनिता घोष |
रविवार, 9 सितंबर 2012
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