रविवार, 31 मार्च 2013

एक अमरीकी फ़ौजी की दर्दभरी दास्तां

 रविवार, 31 मार्च, 2013 को 10:13 IST तक के समाचार

इराक युद्ध
इराक युद्ध में शामिल होने वाले थोमस यंग अब शारीरिक कष्ट झेलने के लिए तैयार नहीं हैं
“मैं 9/11 हमले के दो दिन बाद ही सेना से जुड़ गया. मैं सेना से इसलिए जुड़ा क्योंकि हमारे देश पर हमला किया गया था. मैं यह चाहता था कि जिन्होंने मेरे देश के 3,000 नागरिकों को मारा है, उन पर पलट कर हमला करूं. मैंने इराक़ जाने के लिए सेना को नहीं चुना था क्योंकि 2001 के सितंबर में हुए हमले में इराक़ की कोई भूमिका नहीं थी और उसने अमरीका तो छोड़िए अपने पड़ोसियों के लिए भी कोई बड़ा ख़तरा नहीं पैदा किया था....इराक़ युद्ध अमरीका के इतिहास की सबसे बड़ी रणनीतिक ग़लती थी.””
ये शब्द उस पत्र के कुछ अंश है जिसे इराक़ युद्ध में गए एक अमरीकी सैनिक ने पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और पूर्व उपराष्ट्रपति डिके चेनी को लिखा हैं.
इराक़ युद्ध में गए टॉमस यंग नाम के उस अमरीकी सैनिक की ज़िदगी तबाह हो गई. उनका शरीर निस्पंद हो रहा है और उनकी टांग भी अब काम नहीं करती.
अपने पत्र में टॉमस यंग ने बुश और डिक चेनी को अपने साथ हुए हुए सभी हादसों और इराक़ में मारे गए तथा घायल हुए सभी लोगों के लिए दोषी ठहराया है.

मर्ज़ी नहीं थी मेरी

यंग के अनुसार 2001 में 9/11 हमले के बाद ग्राउंड ज़ीरो के मलबे के पास आकर जब तत्कालीन राष्ट्रपति बुश ने इस हमले के ज़िम्मेदार लोगों को सबक़ सिखाने की गुहार लगाई तब करीब 22 साल के यंग ने सेना में शामिल होने का फ़ैसला किया.
"ऐसा नहीं है कि वह मरना चाहते हैं बल्कि वह अब इससे ज्यादा कष्ट नहीं सहना चाहते"
थॉमस यंग की पत्नी क्लॉडिया क्यूलर
लेकिन उन्हें चरमपंथी संगठन अल-क़ायदा और इसके सहयोगियों से लड़ने के लिए अफ़ग़ानिस्तान के बजाय 2004 में इराक़ भेज दिया गया जहां गठबंधन सेना ने सद्दाम हुसैन को क़ब्ज़े में ले लिया.
इराक़ में तैनाती के पांचवे दिन ही यंग की सैन्य टुकड़ी का सामना बग़दाद में विद्रोहियों की गोलीबारी से हुआ. उन्हें भी गोली लगी और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई.
अमरीका वापस आने के बाद उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर ही इस युद्ध के ख़िलाफ़ अपना अभियान छेड़ दिया और वर्ष 2007 में वह ‘बॉडी ऑफ़ वॉर’ नाम की एक डॉक्यूमेंटरी का हिस्सा बने.

अब नहीं जीना

यंग की हालत इतनी नाज़ुक हो गई है कि वह अब जीना नहीं चाहते हैं. उन्हें बात करने में भी काफ़ी मुश्किल होती है और वह थक जाते हैं.
उनकी पत्नी क्लॉडिया क्यूलर ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को बताया, “उन्हें यह महसूस होता है कि उनका शरीर अब जीने लायक़ नहीं है. वह इच्छा मृत्यु के लिए तैयार हैं.”
उनका कहना है, “हमने एक निश्चित स्तर तक कष्ट को स्वीकार कर लिया है. लेकिन पिछले साल से उन्हें शारीरिक तौर पर काफ़ी कष्ट हो रहा है, उन्हें संक्रमण और दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए बार-बार अस्पताल जाना पड़ता है. वह अब और किसी ऑपरेशन या इलाज की प्रक्रिया से नहीं गुज़रना चाहते हैं.”
उनकी बातों में अपने पति को खो देने की वेदना साफ़तौर पर झलकती है.
अमरीका
9/11हमले के बाद अमरीका ने इराक में अपनी सेना भेज युद्ध छेड़ दिया था
यंग की पत्नी ने अपनी और यंग की पीड़ा बयान करते हुए कहा, “मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैंने उन्हें भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तौर पर खो दिया. एक-एक दिन बिताना जैसे बेहद मुश्किल है. हमारी बातचीत...” उनका वाक्य अधूरा रह जाता है.
वह कहती हैं, “मैं समझ सकती हूं कि उन्हें कितना कष्ट हो रहा है. मैं नहीं चाहती कि वह सिर्फ़ मेरे लिए इतने कष्ट के साथ जीते रहें. यह सही नहीं है.”
क्यूलर कहती हैं, “ऐसा नहीं है कि वह मरना चाहते हैं बल्कि वह अब इससे ज़्यादा कष्ट नहीं सहना चाहते.”
वह अब ठोस खाद्य पदार्थ नहीं खा सकते हैं उनके शरीर की त्वचा फट रही है जिससे उनके शरीर का मांस और हड्डी दिखने लगी है.
यंग का कहना है कि उन्होंने इराक़ में मारे गए और घायल हुए सैनिकों और उनके रिश्तेदारों की ओर से बुश और चेनी को पत्र लिखा है.
वह कहते हैं, “नैतिक, सामरिक, रणनीतिक और आर्थिक हर स्तर पर इराक़ अभियान एक विफलता थी. बुश और चेनी आपने ही इस युद्ध को शुरू किया और आपको ही इसके नतीजे भुगतने चाहिए.”

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