आगरा/दै.मू.समाचार
बहुजन मुक्ति पार्टी द्वारा राष्ट्रव्यापी जागरण अभियान के अंतर्गत सुन्दर पाढ़ा आगरा में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के द्वारा चुनावी लोकतंत्र का बलात्कार एवं मानवाधिकारों का उल्लंघन विषय पर प्रलोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सुबेदार सिंह (प्रथान जलेसर) ने किया मुख्य अतिथि मा. रोहन सिंह पूर्व सांसद प्रत्याशी फतेहपुर सीकरी, विशेष अतिथि आयु. अनिता सिंह, डा. आशा केसरी रही। कार्यक्रम को मा. पूरन चन्द्र बौद्ध, मा. निर्मल कुमार, मा. महाराज सिंह यादव, एड. विजय सिंह, मा. साहब सिंह, मा. ज्ञानसागर, मा. मनीष गौतम, श्याय बाबू भारती, इत्यादि ने संबोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश महासचिव सूर्यभान पटेल ने किया उन्होंने विषय पर प्रबोधन करते हुए बताया कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन, टी.वी. की तरह ही एक इलेक्ट्रानिक डिवाईस है जिस तरह टी.वी. में प्रोग्रामिंग सैट होता है यदि दर्शक चाहे कि 12 बजे रात्रि में टी.वी. देखते हुए यदि नींद आ जाये तो टी.वी. आॅफ हो जाये तो टी.वी. आॅफ हो जाती है ठीक उसी प्रकार चुनाव के समय सभी पार्टियों के बूथ एजेण्ट बूथ पर होते हैं इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सत्यता को पीठासीन अधिकारी सत्यापित कर के दिखाता है तो ई.वी.एम. में भी इस तरह का प्रोग्रामिंग सैट किया जा सकता है। कि एक घण्टा तक ई.वी.एम. में वोटर जिस पार्टी के कैंडीडेट को वोटिंग करे वोट उसे ही पड़े 1 घण्टा बाद एक ही पार्टी के कैंडीडेट को वोट गिरे। ई.वी.एम. में हार्स डाय मांक हैकिंग के द्वारा दूर से बैठे-बैठे मोबाईल से ही गड़बड़ी करना संभव है। 2014 लोकसभा चुनाव में कई जगह पर गड़बडि़याँ हुई और हजारों बूथ पर ई.वी.एम. में गड़बड़ी की आशंका रही है। वाराणसी में सेक्टर मजिस्ट्रेट श्रीवास्तव ई.वी.एम. मशीन घर ले जा कर गड़बड़ी करने का मामला चुनाव आयोग द्वारा जांच में सही पाया गया 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिप्रसाद मुरली हैदराबाद द्वारा ई.वी.एम. गड़बड़ी को सिद्ध किया गया व सुबमण्यम स्वामी और आडवाणी द्वारा कोर्ट में केस किया गया कि ई.वी.एम. में गड़बड़ी की गई है। 2014 के चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने भी ई.वी.एम. गड़बड़ी की बात को स्वीकारा साथ ही उच्चतम न्याय ने भी ई.वी.एम. गड़बड़ी की आशंका को स्वीकार किया तो चुनाव आयोग ने ई.वी.एम. मशीन से चुनाव क्यों करवाया लोकतंत्र में जनता को अपने वास्तविक प्रतिनिधि चुनकर भेजने का अधिकार ई.वी.एम. गड़बड़ी ने समाप्त कर दिया अतः मानवाधिकारों का उल्लंघन मात्र लोकतंत्र का घोतक है। अर्थात लोकतंत्र को यदि स्थापित करना है तो पहले चुनाव प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन करना होगा जनता अपने वास्तविक प्रतिनिधि चुनकर भेजे ऐसी व्यवस्था निर्माण करना होगा किन्तु तथाकथित आजादी के बाद से लेकर अब तक चुनावी प्रक्रिया पर नजर डाले तो कभी बूथ कैप्चरिंग हुआ कभी शीगिंग हुआ कभी हल्की इंक से चुनाव करवा कर बाद में मनमाफिक वोटिंग षड्यंत्र पूर्वक कराया गया अभी वर्तमान में ई.वी.एम. के जरिये षड्यंत्र शासक वर्ग ब्राह्मण कर रहा है। लोकतंत्र केवल कागजों में है वास्तव में तमाशातंत्र है। अतः मूलनिवासियांे की गुलामी तब तक बरकरार रहेगी जब तक राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन निर्माण नहीं हो जाता यदि वास्तविक लोकतंत्र लाना है तो जनआन्दोलन ही पर्याय है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से रतन सिंह, पिंकल, ललित, बी.के.चैधरी, देवराज, राहुल कपिल, महेेश, गणेश साहब, खुशहाल जानी, पूनम बौद्ध, राजेन्द्र, संतोषी, जैण्डल सिंह, श्याम सुन्दर, अचल सिंह, घरारी, इत्यादि लोग उपस्थित हे समापन निरंजन सिंह ने किया आभार राजेन्द्र कहेरिया एवं भवानीशंकर ने माना।
बहुजन मुक्ति पार्टी द्वारा राष्ट्रव्यापी जागरण अभियान के अंतर्गत सुन्दर पाढ़ा आगरा में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के द्वारा चुनावी लोकतंत्र का बलात्कार एवं मानवाधिकारों का उल्लंघन विषय पर प्रलोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सुबेदार सिंह (प्रथान जलेसर) ने किया मुख्य अतिथि मा. रोहन सिंह पूर्व सांसद प्रत्याशी फतेहपुर सीकरी, विशेष अतिथि आयु. अनिता सिंह, डा. आशा केसरी रही। कार्यक्रम को मा. पूरन चन्द्र बौद्ध, मा. निर्मल कुमार, मा. महाराज सिंह यादव, एड. विजय सिंह, मा. साहब सिंह, मा. ज्ञानसागर, मा. मनीष गौतम, श्याय बाबू भारती, इत्यादि ने संबोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश महासचिव सूर्यभान पटेल ने किया उन्होंने विषय पर प्रबोधन करते हुए बताया कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन, टी.वी. की तरह ही एक इलेक्ट्रानिक डिवाईस है जिस तरह टी.वी. में प्रोग्रामिंग सैट होता है यदि दर्शक चाहे कि 12 बजे रात्रि में टी.वी. देखते हुए यदि नींद आ जाये तो टी.वी. आॅफ हो जाये तो टी.वी. आॅफ हो जाती है ठीक उसी प्रकार चुनाव के समय सभी पार्टियों के बूथ एजेण्ट बूथ पर होते हैं इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सत्यता को पीठासीन अधिकारी सत्यापित कर के दिखाता है तो ई.वी.एम. में भी इस तरह का प्रोग्रामिंग सैट किया जा सकता है। कि एक घण्टा तक ई.वी.एम. में वोटर जिस पार्टी के कैंडीडेट को वोटिंग करे वोट उसे ही पड़े 1 घण्टा बाद एक ही पार्टी के कैंडीडेट को वोट गिरे। ई.वी.एम. में हार्स डाय मांक हैकिंग के द्वारा दूर से बैठे-बैठे मोबाईल से ही गड़बड़ी करना संभव है। 2014 लोकसभा चुनाव में कई जगह पर गड़बडि़याँ हुई और हजारों बूथ पर ई.वी.एम. में गड़बड़ी की आशंका रही है। वाराणसी में सेक्टर मजिस्ट्रेट श्रीवास्तव ई.वी.एम. मशीन घर ले जा कर गड़बड़ी करने का मामला चुनाव आयोग द्वारा जांच में सही पाया गया 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिप्रसाद मुरली हैदराबाद द्वारा ई.वी.एम. गड़बड़ी को सिद्ध किया गया व सुबमण्यम स्वामी और आडवाणी द्वारा कोर्ट में केस किया गया कि ई.वी.एम. में गड़बड़ी की गई है। 2014 के चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने भी ई.वी.एम. गड़बड़ी की बात को स्वीकारा साथ ही उच्चतम न्याय ने भी ई.वी.एम. गड़बड़ी की आशंका को स्वीकार किया तो चुनाव आयोग ने ई.वी.एम. मशीन से चुनाव क्यों करवाया लोकतंत्र में जनता को अपने वास्तविक प्रतिनिधि चुनकर भेजने का अधिकार ई.वी.एम. गड़बड़ी ने समाप्त कर दिया अतः मानवाधिकारों का उल्लंघन मात्र लोकतंत्र का घोतक है। अर्थात लोकतंत्र को यदि स्थापित करना है तो पहले चुनाव प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन करना होगा जनता अपने वास्तविक प्रतिनिधि चुनकर भेजे ऐसी व्यवस्था निर्माण करना होगा किन्तु तथाकथित आजादी के बाद से लेकर अब तक चुनावी प्रक्रिया पर नजर डाले तो कभी बूथ कैप्चरिंग हुआ कभी शीगिंग हुआ कभी हल्की इंक से चुनाव करवा कर बाद में मनमाफिक वोटिंग षड्यंत्र पूर्वक कराया गया अभी वर्तमान में ई.वी.एम. के जरिये षड्यंत्र शासक वर्ग ब्राह्मण कर रहा है। लोकतंत्र केवल कागजों में है वास्तव में तमाशातंत्र है। अतः मूलनिवासियांे की गुलामी तब तक बरकरार रहेगी जब तक राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन निर्माण नहीं हो जाता यदि वास्तविक लोकतंत्र लाना है तो जनआन्दोलन ही पर्याय है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से रतन सिंह, पिंकल, ललित, बी.के.चैधरी, देवराज, राहुल कपिल, महेेश, गणेश साहब, खुशहाल जानी, पूनम बौद्ध, राजेन्द्र, संतोषी, जैण्डल सिंह, श्याम सुन्दर, अचल सिंह, घरारी, इत्यादि लोग उपस्थित हे समापन निरंजन सिंह ने किया आभार राजेन्द्र कहेरिया एवं भवानीशंकर ने माना।
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