सीबीआई भले ही यह कहती रहे कि पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शारदा चिट फंड घोटाले के तार बांग्लादेश से नहीं जुड़ रहे, लेकिन चौथी दुनिया के पास जो खबर है, उसके मुताबिक शारदा चिट फंड घोटाले के तार बांग्लादेश से भी जुड़े है. सूत्र बताते हैं कि घोटाले से संबद्ध जिस एविएशन कंपनी को राष्ट्रीयकृत बैंक ने हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए सैकड़ों करोड़ का कर्ज दिया था, उस कंपनी का मुख्य कार्यालय बांग्लादेश में है. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय, दोनों ही एजेंसियां अब इस नतीजे पर पहुंची हैं कि पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शारदा चिट फंड घोटाले से कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी लिंक है. इनमें यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया अव्वल है. चौथी दुनिया ने अपने हिंदी-अंग्रेजी-उर्दू तीनों भाषा संस्करणों के पांच जनवरी-ग्यारह जनवरी के अंक में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के शारदा-लिंक का खुलासा कर चुका है. शारदा घोटाले के संबंध में पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस के जिस सांसद केडी सिंह के घर और ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, उस केडी सिंह की संदेहास्पद भूमिका के बारे में भी चौथी दुनिया के उस अंक में खास जिक्र है.
शारदा घोटाले का धन हवाला के जरिए बांग्लादेश में इस्लामी बैंक में जमा कराए जाने का कोई ठोस सबूत सीबीआई को हासिल नहीं हो पाया है. जबकि बांग्लादेश सरकार ने खुद भारत सरकार को इस बारे में जानकारी दे रखी है कि शारदा घोटाले के पैसे का गुपचुप लेनदेन बांग्लादेश की जमीन पर भी हो रहा है और तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद के कुछ आतंकी संगठनों से भी लिंक है. इसमें बांग्लादेश सरकार ने भारत सरकार से मदद भी मांगी थी और अपना पक्ष रखने का भी आग्रह किया था. केंद्र सरकार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार भी कर चुकी है कि तृणमूल सांसद अहमद हसन इमरान के खिलाफ बांग्लादेश सरकार से भारत सरकार के गृह मंत्रालय को गंभीर रिपोर्ट प्राप्त हुई है. हसन इमरान के बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन से जुड़े होने की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई है. इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर मामले की जांच शुरू कराई. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), तृणमूल सांसद हसन इमरान से दो बार पूछताछ कर चुका है. सीबीआई भी मामले की जांच कर रही है, लेकिन उसे आतंकी संगठनों से जुड़ता हुआ कोई ठोस सबूत या सुराग हासिल नहीं हुआ है. सीबीआई का कहना है कि शारदा चिटफंड घोटाले के 60 करोड़ रुपये हवाला के मार्फत बांग्लादेश इस्लामिक बैंक को भेजे जाने की सूचनाओं का कोई सुबूत नहीं मिला है. शारदा चिटफंड कंपनी के मालिक सुदीप्तो सेन के पूर्वोत्तर के कई आतंकी संगठनों से गहरे लिंक रहे है. असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम तक शारदा ग्रुप का पैसा पहुंचता रहा है. सुदीप्तो सेन ने असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के मंत्रिमंडल के एक मंत्री हेमंत विश्वकर्मा के जरिए नगालैंड के अलगाववादी संगठन एनएससीएन (आईएम) के साथ समझौता किया था, जिससे पूर्वोत्तर में उसका धंधा निर्बाध चलता रहे. आतंकवादी संगठन उल्फा के प्रमुख परेश बरुआ को भी शारदा से धन मिल रहा था. यह मदद बांग्लादेशी लिंक की पुष्टि करती है. परेश बरुआ वर्षों से बांग्लादेश में ही छुप कर रह रहा था. नगालैंड के एनएससीएन और असम के उल्फा के अलावा सलफा, आसू जैसे कई अलगाववादी संगठनों तक शारदा ग्रुप का पैसा पहुंचता था. अब वह कश्मीरी आतंकी संगठनों तक पहुंच बनाने की फिराक में था. कश्मीर में ही उसे सोनमर्ग से गिरफ्तार किया गया था.
शारदा घोटाले का धन हवाला के जरिए बांग्लादेश में इस्लामी बैंक में जमा कराए जाने का कोई ठोस सबूत सीबीआई को हासिल नहीं हो पाया है. जबकि बांग्लादेश सरकार ने खुद भारत सरकार को इस बारे में जानकारी दे रखी है कि शारदा घोटाले के पैसे का गुपचुप लेनदेन बांग्लादेश की जमीन पर भी हो रहा है और तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद के कुछ आतंकी संगठनों से भी लिंक है.बहरहाल, सीबीआई सूत्रों का कहना है कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जिस एविएशन कंपनी को सैकड़ों करोड़ रुपये का लोन दिया गया था, उसका कार्यालय बांग्लादेश में है. इस एविएशन कंपनी से तृणमूल कांग्रेस के सांसद हसन इमरान और केडी सिंह का जुड़ा होना बताया जा रहा है. इन सांसदों का शारदा चिट फंड कंपनी से संबंधों का खुलासा हो चुका है. शारदा चिट फंड कंपनी के मालिक सुदीप्तो सेन को भी यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने भारी ऋण दे रखे है. कोलकाता के सॉल्ट लेक स्थित बैंक की शाखा में रात के ढाई बजे शारदा चिटफंड कंपनी के मालिक के 13 लॉकर खुलवाए जाने और महत्वपूर्ण दस्तावेज वगैरह हटाए जाने के मामले की जांच चल रही है. जांच के घेरे में वह शीर्ष अधिकारी भी है जिसके आदेश पर देर रात में लॉकर खुलवाए गए थे.
शारदा स्कैम से जुड़ी जिस एविएशन कम्पनी को विमान और हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ऋण दिए जाने की बात सामने आ रही है, उस एविएशन कंपनी के शारदा चिटफंड घोटाला से लिंक तो पाए ही जा रहे हैं, साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि उसी एविएशन कंपनी के विमान चुनाव प्रचार अभियान में ममता बनर्जी के काम आते रहे है. वैसे, आधिकारिक तौर पर एलकेमिस्ट नाम की कंपनी के चार्टर्ड विमानों का इस्तेमाल करने में ममता बनर्जी का नाम सामने आ चुका है. शारदा चिटफंड मामले से एलकेमिस्ट के लिंक पाए गए है. एलकेमिस्ट कंपनी के मालिक तृणमूल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह ही है. एलकेमिस्ट कंपनी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लेकर फरार हुई एविएशन कंपनी के बीच कोई सूत्र जुड़ते हैं कि नहीं, इसकी छानबीन चल रही है. चौथी दुनिया ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर दीपक नारंग से पूछा था कि क्या बैंक की किसी शाखा में रॉयल एविएशन या एयर रॉयल एविएशन का खाता है? क्या तृणमूल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह इनमें से किसी फर्म के मालिक हैं? सीबीआई ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के कुछ अधिकारियों से पूछताछ क्यों की है? और बैंक ने सरकारी जमीनों के एवज में जो ऋण दे रखे हैं, उनकी वसूली के क्या उपाय किए हैं? इन सवालों के जवाब में नारंग ने बस इतना ही कहा था कि आई एम नॉट अवेयर (मेरी जानकारी में नहीं है).
बहरहाल, आयकर विभाग ने पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह के घर, दफ्तर और अन्य ठिकानों पर छापे मारे. इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, कोलकाता समेत कुछ अन्य ठिकाने शामिल है. आयकर के छापे के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय भी केडी सिंह से एक ब्रिटिश संस्था में अपने ट्रस्ट के निवेश करने के बारे में पूछताछ करेगा. केडी सिंह के ट्रस्ट ने एक ब्रिटिश संस्था में 30 मिलियन डॉलर (करीब 1.86 अरब रुपये) का निवेश किया है. वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट) को दी है. ब्रिटिश संस्था से चीन की एक कंपनी ने बीमा पॉलिसी खरीदी थी. ब्रिटिश संस्था की मूल कंपनी इक्विटी प्राइवेट लिमिटेड है. इसके पीछे केडी सिंह के ट्रस्ट का नाम सामने आया है. इसमें एफआईयू को दो भारतीयों के नाम मिले थे. एफआईयू की रिपोर्ट में उजागर हुआ है कि केडी सिंह के ट्रस्ट ने भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) और केंद्र सरकार को इसकी औपचारिक जानकारी नहीं दी थी. केडी सिंह की कंपनी में वित्तीय अनियमितता को लेकर छापामारी हो चुकी है. उसमें गैर खाते के 22 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे. बीते साल भी जून महीने में केडी सिंह के एलकेमिस्ट समूह के दफ्तरों और विभिन्न ठिकानों पर छापामारी हुई थी. पश्चिम बंगाल के सात ठिकानों के अलावा देश भर के 20 ठिकानों पर आयकर विभाग की टीम ने छापेमारी की थी.
उल्लेेखनीय है कि शारदा चिटफंड घोटाले के आतंकी लिंक की तलाश में खुफिया एजेंसियां असम के परिवहन मंत्री रहे हेमंत विश्वशर्मा और उसकी पत्नी रिनिकी विश्वशर्मा से भी पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेता व पश्चिम बंगाल के खेल एवं परिवहन मंत्री मदन मित्रा, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव शंकुदेव पांडा, बांग्ला फिल्म अभिनेत्री व तृणमूल कांग्रेस की बीरभूम से सांसद शताब्दी राय, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सृंजय बोस, विधाननगर नगरपालिका की अध्यक्ष के पति व तृणमूल नेता समीर चक्रवर्ती, तृणमूल से निलंबित राज्यसभा सांसद कुणाल घोष, कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह, आईपीएस अधिकारी रजत मजूमदार समेत कई प्रमुख हस्तियों पर शारदा चिटफंड कंपनी घोटाले में लिप्त होने का संदेह है. इनके खिलाफ सीबीआई छानबीन कर रही है. इनमें से कई लोग गिरफ्तार भी हो चुके है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी संदेह के दायरे में है. जब राज्य सरकार को शारदा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, शारदा रियलिटी इंडिया लिमिटेड, केडी सिंह की एलकेमिस्ट इन्फ्रा रियलिटी लिमिटेड, रोजवैली होटल एंड इंटरटेनमेंट लिमिटेड समेत कई अन्य चिटफंड कंपनियों की गैरकानूनी गतिविधियों की रिपोर्ट पहले ही दी जा चुकी थी, तो उस फाइल को मुख्यमंत्री ने रोक कर क्यों रखा. यह सवाल ममता को परेशानी में डालने वाला है. यूपीए सरकार में ताकतवर मंत्री रहे पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी समेत कई अन्य हस्तियां भी एकदिन चपेटे में आएंगी.
शारदा चिटफंड घोटाले में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की संलिप्तता भी सीबीआई की जांच के घेरे में है. इसके सूत्र उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से भी जुड़ते है. सीबीआई ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के जिन अफसरों से कोलकाता में पूछताछ की थी, उनमें से कई अधिकारी लखनऊ से ही स्थानांतरित होकर गए है. बैंक की बहुत सारी संदिग्ध गतिविधियां सीएमडी अर्चना भार्गव के कार्यकाल में हुईं. लखनऊ और कोलकाता इन गतिविधियों के केंद्र में रहा और बैंक के अरबों रुपये डुबो कर अर्चना भार्गव ने स्वैच्छिक अवकाश लेकर नौकरी छोड़ दी. बैंक प्रबंधन ने भी उन्हें जाने दिया. अब सीबीआई उनके कार्यकाल में लिए गए फैसलों की छानबीन कर रही है. शारदा चिटफंड कंपनी के मालिक सुदीप्तो सेन से लेकर विजय माल्या, रॉबर्ट वाड्रा, पवन बंसल, सुब्रत राय सहारा जैसी तमाम विवादास्पद हस्तियों को सीएमडी अर्चना भार्गव और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर दीपक नारंग के कार्यकाल में ही बड़े-बड़े लोन हल्के-फुल्के तरीके से बांटे गए थे. सीबीआई से पूछताछ के बाद यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के जिन 27 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट जारी हुई उनमें पूर्व सीएमडी अर्चना भार्गव या मौजूदा एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर दीपक नारंग का नाम शामिल नहीं है. प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठान लैंको को वक्फ की जमीन पर करोड़ों रुपये का लोन दे देने वाले तत्कालीन सीएमडी मधुकर और बिना किसी पूंजीगत आधार के किंग फिशर के लिए विजय माल्या को करोड़ों का लोन देने वाले ईडी दीपक नारंग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बैंक के विजिलेंस विभाग ने मधुकर के रिटायरमेंट के पहले घर और दफ्तर की तलाशी लेकर
शारदा चिटफंड घोटाले में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की संलिप्तता भी सीबीआई की जांच के घेरे में है. इसके सूत्र उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से भी जुड़ते है. सीबीआई ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के जिन अफसरों से कोलकाता में पूछताछ की थी, उनमें से कई अधिकारी लखनऊ से ही स्थानांतरित होकर गए है. बैंक की बहुत सारी संदिग्ध गतिविधियां सीएमडी अर्चना भार्गव के कार्यकाल में हुईं. लखनऊ और कोलकाता इन गतिविधियों के केंद्र में रहा और बैंक के अरबों रुपये डुबो कर अर्चना भार्गव ने स्वैच्छिक अवकाश लेकर नौकरी छोड़ दी.औपचारिकता पूरी कर ली और मधुकर आराम से रिटायर हो कर नेपथ्य में चले गए. विजय माल्या को किंग फिशर के लिए मिले लोन की कुल राशि 76 सौ करोड़ रुपये है, जबकि उसके एवज में मात्र 90 करोड़ का किंग फिशर विला और 150 करोड़ का किंग फिशर हाउस की सम्पत्ति ही बैंकों के पास गिरवी है. यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 336 करोड़ रुपये का लोन रिलीज़ होते ही किंग फिशर ने बैंक के शीर्ष प्रबंधन की मिलीभगत से उस बड़ी धनराशि को एक प्राइवेट बैंक के खाते में ट्रांसफर करा दिया. लेकिन ऐसे बेधड़क गैर कानूनी कृत्य पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. विडंबना यह है कि करोड़ों रुपये का लोन लेकर भागने के आरोप में डेक्कन क्रॉनिकल के मालिक टी. वेंकटराम रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया जाता है, लेकिन विजय माल्या को छुआ भी नहीं जाता. बिना कोई चार्ज फ्रेम किए सुब्रत राय सहारा को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दिया जाता है, लेकिन हजारों करोड़ रुपये दबाए बैठे नामचीन पूंजीपतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. इन पूंजी संस्थानों के प्रभाव में आकर उन्हें भारी-भरकम लोन देने वाले बैंकों के आला अफसरों पर भी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती. वही बैंक पहले गैर-वाजिब तरीके से कर्ज देते हैं और बाद में अपनी खाल बचाने के लिए प्रतिष्ठानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा देते है. कानून और न्याय व्यवस्था के इसी सड़ियल स्वरूप का फायदा उठाया जा रहा है. डेक्कन क्रॉनिकल को भी अनाप-शनाप लोन देने में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया शामिल है, लेकिन दोषी बैंक अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बैंकों के शीर्ष प्रबंधन के गैर पेशेवर तौर-तरीकों का आलम यह है कि भारी ऋण-बोझ से दबे यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में डेब्ट-रिकवरी के लिए डीजीएम अनुराग श्रीवास्तव को तैनात कर रखा है, जिन्हें ऋण आवंटन का कोई अनुभव नहीं है फिर वे रिकवरी कैसे कर पाएंगे. इन्हीं वजहों से बैंक का नुकसान बढ़ता जा रहा है और बैंक के बंद होने की आशंका गहरा गई है.
कई मीडिया संस्थानों में लगा है घोटालेबाजों का पैसा
शारदा चिटफंड घोटाले ने मीडिया संस्थानों के पीछे लगे बेजा धन के हथकंडों या कहें बेजा धन और बेजा धंधों को बचाने के लिए मीडिया संस्थान खड़ा करने की करतूतों का भी खुलासा किया है. शारदा चिटफंड कंपनी के मालिक सुदीप्तो सेन ने सीबीआई के सामने यह कबूल किया है कि उसने अखबार और न्यूज चैनल में भारी पूंजी निवेश कर रखा है. बांग्ला अखबार प्रतिदिन के मालिक और तृणमूल सांसद सृंजय बोस के प्रभाव में सुदीप्तो सेन ने 30 करोड़ रुपये में चैनल 10 नाम से एक न्यूज चैनल खरीदा था. प्रतिदिन अखबार इस न्यूज चैनल की सहयोगी संस्था के रूप में काम कर रहा था. 15 लाख रुपये मासिक वेतन पर टीवी चैनल के सीईओ पद पर तृणमूल कांग्रेस के सांसद कुणाल घोष को बिठाया गया था. 20 लाख रुपये महीने के करार पर मिथुन चक्रवर्ती को चैनल का ब्रैंड अंबैसडर बनाया गया था. समाजसेवा के विभिन्न कार्यों का हवाला देकर कुणाल घोष को डेढ़ लाख रुपये माहवार अलग से दिए जाते थे. उसके चलने के लिए कीमती गाड़ी, पेट्रोल और ड्राइवर का वेतन भी शारदा समूह ही देता था. वाम मोर्चा के शासनकाल में ही सुदीप्तो सेन ने मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा था. बांग्ला अखबार सकालबेला, एखन समय, अंग्रेजी अखबार द बंगाल पोस्ट, उर्दू अखबार कलम और आजाद हिंद व हिंदी अखबार प्रभात वार्ता शारदा के पैसे से ही शुरू हुआ था. सुदीप्तो ने कई टीवी चैनलों का नेटवर्क भी खरीद रखा था. असम में तरुण गोगोई मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों ने स्थानीय अखबार और टीवी चैनल में हिस्सेदारी में शारदा समूह की मदद की. पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह और उनकी पत्नी मनोरंजना सिंह के जरिए भी पूर्वोत्तर भारत में टीवी चैनल खोले जाने का खुलासा हुआ. इसी सिलसिले में मतंग सिंह और मनोरंजना सिंह तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम और सुदीप्तो सेन की मुलाकात में माध्यम बनीं. नलिनी चिदंबरन के दबाव में ही मनोरंजना सिंह के चैनल के लिए सुदीप्तो ने करोड़ों रुपये दिए थे. इसी तरह शारदा प्रकरण से जुड़े तृणमूल सांसद केडी सिंह ने अपना पैसा मीडिया में लगाया. तहलका मैगजिन में केडी सिंह का पैसा इतना लगा कि उसका स्वामित्व भी केडी सिंह के ही हाथ में आ गया. लाखों रुपये नगद के साथ दिल्ली हवाई अड्डे पर पकड़े जा चुके रिपब्लिक ऑफ चिकन चेन के अलावा एलकेमिस्ट जैसी विवादास्पद कंपनियों के मालिक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह तहलका के मालिक बनते ही मीडिया की सुर्खियों में आ गए. हालांकि कागजी तौर पर तहलका का चेयरमैन केडी सिंह के बेटे करनदीप सिंह को दिखाया गया है. हैदराबाद के प्रमुख अखबार प्रतिष्ठान डेक्कन क्रॉनिकल पर फिलहाल यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के करोड़ों का लोन लेकर गायब होने का आरोप है, लेकिन सीबीआई सूत्र बताते हैं कि इस मीडिया संस्थान पर भी शारदा चिटफंड स्कैम के छींटे पड़ने की संभावना है.
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