देखिये, २०१६ में विदेशी कंपनियों के हिस्से भारत की लुट का कितना हिस्सा आयेगा,....सालाना ३२,८५,००० करोड़ की लूट और ८००००००० लोगो की बेरोजगारी, भारत को गुलाम बनाने की दिशा में आखिरी और निर्णायक कदम... पढ़े और प्रसारित करे......
ॐ,
यदि अगर सरकार की ही बात माने की की विदेशी किराना कंपनिया भारत के उत्पादको से ३०% सामान अवश्य ही खरीदेगी, जिस पर की बहुत शक है, तब भारत से विदेशी कंपनिया कितना पैसा लूटकर बाहर लेकर जाएगी और भारत की भुखमरी भविष्य में बिना एक निर्णायक खुनी संघर्ष समाप्त ही नहीं होगा.
पहले इन आकड़ो पर नजर डालिए--
भारत में १२२ करोड़ आबादी है और करीब २३ करोड़ परिवार है,
भारत में २०१६ में ९०० बिलियन डालर यानि ४५०००००००००००० (४५ लाख करोड़) का सालाना खुदरा व्यापार होगा,
भारत में आज के दिन ५००० विदेशी कंपनिया २३,५०,००० करोड़ व्यापार करके करीब १५-२० लाख करोड़ सालाना लुट रही है.
खुदरा व्यापार में विदेशी कंपनिया ७०% खरीद विदेशो में करेगी और ३०% भारत में.
अब विदेशो में भारत का कितना पैसा हर साल जायेगा--
यदि हम मान ले की विदेशी कंपनिया भारत के आधा खुदरा व्यापार हथिया लेंगी जो बहुत आसान है, अमेरिका में इन्होने ८०% और ब्रिटेन में ८५% से ज्यादा बाजार हथिया लिया है और देर सवेर भारत में भी यही होगा लेकिन हम कम मानकर गणनां करे तो ४५लख करोड़ का आधा = २३ लाख करोड़ हुआ. इसमे से सीधा ७०% यानि १६,१०.००० करोड़ सीधे सीधे भारत से बाहर ले जाएगी. बाकि के २३ लाख करोड़ का ३०% यानि ७ लाख करोड़ में 25% से ज्यादा मुनाफा या कहिये करीब १,७५,००० करोड़ का शुद्ध मुनाफा भी विदेश ले जाएगी. अर्थात सिर्फ खुदरा बाजार को विदेशियों के लिए खोलने पर वे भारत से (१६,१०,००० + १,७५,०००) = १७,८५,००० करोड़ सालाना गारंटी के साथ ले जाएगी. बाकि १५,००,००० करोड़ की लुट पहले से जारी है ही -
अब भारत से हर साल (१७,८५,००० + १५,००,०००) = ३२,८५,००० करोड़ रूपया अवश्य विदेश जायेगा तो देश में दरिद्रता आने से कोई नहीं रोक सकता, दरिद्रता का मतलब है की भारत गुलामी बहुत ही करीब आ चुकी है.
जरा ए आकडे भी ध्यान में रखे--
१)भारत में केंद्र और राज्य और स्थानीय निकायों का कुल बजट ही २०,००,००० करोड़ सालाना है और उत्तर प्रदेश सरकार का बजट करीब ६०,000 करोड़ है.
२)भारत में ८४ करोड़ लोग रोजाना २० रुपये से कम कमाते है,
कहने का मतलब की विदेशी कंपनिया कम से कम हमारे सालाना बजट का डेढ़ गुना से ज्यादा पैसा (३२,८५,००० करोड़) अपने देश अवश्य ही ले जाएगी. योजनागत कामो में मानव श्रम का हिस्सा १२-१५% होता है और यदि दिहाड़ी २०० प्रतिदिन माना जाये तो हर साल विदेशी कंपनिया (३२८५०००००००००० का १५% =४९२७५० करोड़ मजदूरी / २००= २४६४००००००० दिहाड़ी / ३५० =७,३२,८५,००० लोगो का रोजगार स्थाई तरीके से समाप्त हो जायेगा. यदि मजदूरी की दर ५०००/-महिना माने तो ए आकडा २०% और ज्यादा होगा. यानि विदेशी खुदरा व्यापार से ८करोद लोगो की रोजी २०१६ तक अवश्य ही समाप्त हो जाएगी, ये मजाक नहीं है, गणना है, इसे कोई नहीं झुठला सकता है.
यदि यही पैसा देश में रहकर बार बार निवेश किया जाता रहता तो भारत २०२० तक अवश्य दुनिया का सिरमौर बन जाये परन्तु हमारे विदेश प्रेमी नेता इस देश को लूटकर, लुतावाकर हमें गुलाम बनवाकर खुद विदेश में रहकर वही से हमको हांकेंगे जिसे समाप्त करने के लिए कितने सरदार पटेल और भगतसिंह और सुभाष चाहिए.. सबको मालूम है की इस समय हमारी धरती माता भी नेहरू ज्यादा पैदा कर रही और पटेल कम.
(समझ में आ जाये तो कम से कम ५० लोगो को जरुर भेजिए...................)
जय भारत,
संजय कुमार मौर्य
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