कम से कम एक क्षेत्र में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है, परन्तु एह गर्व का विषय नहीं है| संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में भारत में भूख पीड़ितों की संख्या 19 करोड़ 46 लाख थी, जबकि चीन में भूख पीड़ितों की संख्या 13 करोड़ 38 लाख थी|
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन(FAO) द्वारा जारी की गयी ताज़ा रिपोर्ट 'The State of Food Insecurity in the World 2015' में उल्लेख किया गया है कि 1990-1992 की तुलना में जब देश में भूख पीड़ितों की संख्या 21 करोड़ 10 लाख थी भारत ने अवश्य ही काफी प्रगति की है परन्तु इसी अवधि में चीन में भूख पीड़ितों की संख्या
28 करोड़ 90 लाख से घट कर 13 करोड़ 38 लाख हो गयी जो देखने में बड़ी प्रभावी लगती है|
“भारत ने कुल जनसंख्या में खाद्य असुरक्षित व्यक्तियों के अनुपात को कम करने की दिशा में बड़ी प्रगति की है फिर भी वहां अभी 19 करोड़ 40 से अधिक लोग भूख पीड़ित हैं| पर आशा की जा सकती है कि भुखमरी और गरीबी को मिटाने के लिए भारत के अनेक कार्यक्रम जारी रहेंगे|,” संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है|
1990-1992 की तुलना में (90.27 करोड़) 2015 में भारत की जनसंख्या में लगभग 12 करोड़ की वृद्धि हुई है, जबकि भूख पीड़ितों की संख्या में लगभग 3 करोड़ की कमी हुई है| भूखमरी की समस्या को मिटाने के लिए भारत के समक्ष एक तरफ से जनसंख्या में वृद्धि पर नियंत्रण और दूसरी ओर अर्थव्यवस्था और कृषि के आधुनिकीकरण के आधार पर तीव्र विकास की आवश्यकता है|
चीन के ही उदहारण को लें जहाँ सरकार परिवार नियोजन की कठोर नीति पर चलती है| 1990-1992 में भारत के उत्तरी पड़ोसी की जनसंख्या 116 करोड़ थी जबकि 2015 में वह 24 करोड़ बढ़ कर 140 करोड़ हो गयी| परन्तु इसी अवधि में चीन में भूख पीड़ितों की संख्या में लगभग 16 करोड़ की कमी हुई| जो इस बात का परिचायक है कि वहां जनसंख्या में वृद्धि की दर और आर्थिक विकास की दर का अनुपात भारत की अपेक्षा अधिक अनुकूल है|
सवाल यह है कि क्या भारत जो खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति के लिए ‘हरित क्रांति’ और ‘श्वेत क्रांति’ के दौर में काफी प्रभावशाली प्रगति कर चुका है अब अपने सामने खड़ी देशव्यापी कृषि-औद्योगिक क्रांति की फौरी आवश्यकता की एक नयी चुनौती को देख रहा है या नहीं|
28 करोड़ 90 लाख से घट कर 13 करोड़ 38 लाख हो गयी जो देखने में बड़ी प्रभावी लगती है|
“भारत ने कुल जनसंख्या में खाद्य असुरक्षित व्यक्तियों के अनुपात को कम करने की दिशा में बड़ी प्रगति की है फिर भी वहां अभी 19 करोड़ 40 से अधिक लोग भूख पीड़ित हैं| पर आशा की जा सकती है कि भुखमरी और गरीबी को मिटाने के लिए भारत के अनेक कार्यक्रम जारी रहेंगे|,” संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है|
1990-1992 की तुलना में (90.27 करोड़) 2015 में भारत की जनसंख्या में लगभग 12 करोड़ की वृद्धि हुई है, जबकि भूख पीड़ितों की संख्या में लगभग 3 करोड़ की कमी हुई है| भूखमरी की समस्या को मिटाने के लिए भारत के समक्ष एक तरफ से जनसंख्या में वृद्धि पर नियंत्रण और दूसरी ओर अर्थव्यवस्था और कृषि के आधुनिकीकरण के आधार पर तीव्र विकास की आवश्यकता है|
चीन के ही उदहारण को लें जहाँ सरकार परिवार नियोजन की कठोर नीति पर चलती है| 1990-1992 में भारत के उत्तरी पड़ोसी की जनसंख्या 116 करोड़ थी जबकि 2015 में वह 24 करोड़ बढ़ कर 140 करोड़ हो गयी| परन्तु इसी अवधि में चीन में भूख पीड़ितों की संख्या में लगभग 16 करोड़ की कमी हुई| जो इस बात का परिचायक है कि वहां जनसंख्या में वृद्धि की दर और आर्थिक विकास की दर का अनुपात भारत की अपेक्षा अधिक अनुकूल है|
सवाल यह है कि क्या भारत जो खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति के लिए ‘हरित क्रांति’ और ‘श्वेत क्रांति’ के दौर में काफी प्रभावशाली प्रगति कर चुका है अब अपने सामने खड़ी देशव्यापी कृषि-औद्योगिक क्रांति की फौरी आवश्यकता की एक नयी चुनौती को देख रहा है या नहीं|
आगे पढ़ें : http://hindi.sputniknews.com/asia/20150529/1014637173.html#ixzz3cT08w2Xs
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