रविवार, 11 नवंबर 2012


इन्हें काट डालो तो भी दर्द नहीं होगा !

 रविवार, 11 नवंबर, 2012 को 11:29 IST तक के समाचार
स्टीव पीट
स्टीव पीट किसी भी तरह के दर्द की संवेदना को महसूस करने में अक्षम हैं
कल्पना कीजिए कि दर्द शब्द दुनिया से ग़ायब हो जाए. सुनने में ये जरूर अच्छा लग सकता है, लेकिन इससे कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं.
अमरीका के वॉशिंगटन में रहने वाले स्टीव पीट इस दर्दरहित दुनिया की परेशानियों का कटु अनुभव कर रहे हैं.
दरअसल, स्टीव कान्जेनिटल एनाल्जेसिया नामक एक आनुवंशिक बीमारी से ग्रस्त हैं. इस बीमारी के चलते उन्हें किसी भी तरह के शारीरिक दर्द का अनुभव नहीं होता.
स्टीव का अंगूठा दबाने पर उन्हें कुछ पता नहीं चलता. यही नहीं, दाँत उखड़वाने के लिए उन्हें किसी तरह की बेहोशी की दवा नहीं लेनी पड़ी क्योंकि इसकी उन्हें जरूरत ही नहीं थी.
अपने जीवन में उन्होंने आज तक सिर दर्द नहीं हुआ.
लेकिन दर्द शरीर के एक प्रमुख जैविक चेतावनी तंत्र का हिस्सा है. दर्द से हमें ये भी अहसास होता है कि हम क्या सही कर रहे हैं, क्या गलत कर रहे हैं. कौन सा काम हमें रोक देना चाहिए.
स्टीव का मामला उस वक्त सामने आया जब बचपन में उनके दाँत उखड़े थे और एक बार वे बिना किसी दर्द के अपनी जीभ का कुछ हिस्सा ही चबा गए थे.
जैसे-जैसे वे बढ़ते गए, उनकी समस्या जटिल होती गई.

आनुवांशिक बीमारी?

"बचपन में जब आपकी टाँग टूट जाती है तो दर्द होता है और आप दोबारा वो गलती नहीं करते हैं. लेकिन यदि दर्द का अनुभव न हो तो आपकी टाँग बार-बार जख्मी होती रहती है और आप बेपरवाह बने रहते हैं"
स्टीव पेटे, मरीज
हालांकि उनका एक भाई और है. साथ ही तीस वर्षीय विवाहित स्टीव के एक बच्चा भी है, लेकिन इस तरह की समस्या उनके अलावा और किसी को नहीं है.
उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी. वो बताते हैं, “बचपन में जब आपकी टाँग टूट जाती है तो दर्द होता है और आप दोबारा वो गलती नहीं करते हैं. लेकिन यदि दर्द का अनुभव न हो तो आपकी टाँग बार-बार जख्मी होती रहती है और आप बेपरवाह बने रहते हैं.”
इस वक्त स्टीव एक अध्ययन शिविर में हिस्सा ले रहे हैं जहां उनकी स्थिति पर चर्चा हो रही है. वे उन चार लोगों में शामिल हैं, जिन पर ये अध्ययन हो रहा है.
यहां कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें हर वक्त दर्द होता रहता है. बीस वर्षीय पीटर कभी हाथ में तो कभी पैर में दर्द का अनुभव करते रहते हैं.
इन कुछेक मामलों पर अध्ययन के जरिए वैज्ञानिक दर्द से जुड़े परिपथों की जटिलता और उनकी वजहों के बारे में शोध करना चाहते हैं.
साथ में ये भी पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि दर्द को अनुभव करने में मस्तिष्क की क्या भूमिका होती है.
एक ही आघात से अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न मात्रा में दर्द होता है. वैज्ञानिक इन कारणों पर भी अध्ययन कर रहे हैं.
दर्द के बारे में ये कार्यशाला लंदन के साइंस म्यूजियम में आठ नवंबर से जुलाई 2013 तक चलेगी.

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