शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

चूहा गाना गाता है, चुहिया को लुभाता है

 शुक्रवार, 12 अक्तूबर, 2012 को 10:25 IST तक के समाचार

नर चूहे एक दूसरे की आवाजों से तालमेल बैठाने की कोशिश करते हैं.
अमरीकी शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहे तरह-तरह की आवाजें सुन कर गाना भी गा सकते हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि जब उन्होंने नर चूहों को एक साथ रखा तो वो एक दूसरे की आवाजों से तारतम्यता बैठाने की कोशिश करते रहे.
शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहे का मस्तिष्क भी कुछ-कुछ इंसानों की तरह ही व्यवहार करता है और उसमें भी सीखने की अदभुत क्षमता है.
लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना हैं कि सबूत इस दावे का समर्थन नहीं करते है.
ये शोध प्लॉस वन जर्नल में प्रकाशित हुआ हैं.
इस बारे में किए गए पूर्ववर्ती अनुसंधान में कहा गया था कि चूहे उस वक्त कठिन गीत गाते हैं जब वो मादा चूहों के साथ होते हैं और ये उनके प्रेम-संसर्ग का जरूरी हिस्सा है.

ध्वनि की गति से ज्यादा तेज तरंगें

ये चूहे ध्वनि की गति से भी तेज़ अल्ट्रासॉनिक तरंगे पैदा करते हैं जिनकी तीव्रता 50 से 100 किलोहर्ट्ज़ के बीच होती है. इंसानों के कान इस तीव्रता की ध्वनि तरंगें नही सुन सकते हैं.
जब इन तरंगों को इस लायक बनाया गया कि इंसान उन्हें सुन सके, तो ये आवाजें सीटियों के जैसी थीं.
"इसने चूहों की ध्वनि पैदा करने के बारे में उनकी समझ को बदल दिया.हमने चूहों में पाया कि इनमें इंसानों के अग्रमस्तिष्क की तरह ही वो प्रणाली है जो कि आवाज को निकालने और उसे बदलने का काम करती है."
डॉ. एरिक जार्विस
लंबे समय तक ये माना जाता रहा कि चूहे इन आवाजों की पिच को बढ़ाने या घटाने में सक्षम नही हैं. पिच बढ़ाने या घटाने की क्षमता का गुर इस प्राकृतिक दुनिया में दुर्लभ है.
ये गुर सिर्फ कुछ प्रजातियों तक ही सीमित था. उदाहरण के तौर पर व्हेल, डॉल्फिन, चमगादड़ और हाथियों के अलावा तोते और कुछ अन्य पक्षी.

इंसान जैसी प्रतिभा

लेकिन उत्तरी कैरोलिना में ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने प्रयोगों में पाया कि चूहों में मस्तिष्क की बनावट और व्यवहार के गुर सीखने के दोनों ही गुण मौजूद हैं.
इस अध्ययन को समझने वाले डॉ. एरिक जार्विस ने बीबीसी को बताया कि इसने चूहों की ध्वनि बनाने के बारे में उनकी समझ को बदल दिया था.
उन्होंने कहा, "हमने चूहों में पाया कि इनमें इंसानों के अग्रमस्तिष्क की तरह ही वो प्रणाली है जो कि आवाज को निकालने और उसे बदलने का काम करती है.''
वो कहते हैं कि अध्ययन में ऐसे स्पष्ट सबूत नहीं मिले हैं कि चूहों के पास ठीक वैसी ही क्षमताएं हैं जैसी पक्षियों और मनुष्यों के पास होती हैं. उनका मानना है कि ये एक स्पेक्ट्रम की तरह है जहां विभिन्न प्रजातियों के पास अलग-अलग स्तर का कौशल है.
डॉ. जार्विस का तर्क है कि यह एक महत्वपूर्ण विकास है. वे कहते हैं, "जब हमने पिंजरे में दो नर चूहों के साथ एक मादा चूहे को रखा तो पाया कि नर चूहे ने दूसरे चूहे के साथ तालमेल बैठाने के लिए अपनी आवाज बदल ली. ये ठीक उसी तरह हुआ जैसे आमतौर पर छोटे जानवर बड़े जानवर के लिए आवाज बदल लेते हैं.''
लेकिन कुछ अन्य इससे सहमत नही हैं. जर्मन प्राइमेट सेंटर में एक विशेषज्ञ, डॉ. कर्ट को नर चूहों के बदलते व्यवहार के बारे में किए गए अध्ययन के दावे पर शक है. उनका कहना है कि ये कहानी बहुत भरोसेमंद नही लगती है.

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