'नेहरू ने तैयार किया था विभाजन का खाका'
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ
नेता जसवंत सिंह ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के
पीछे जिन्ना बेवजह बदनाम हुए और दरअसल यह जवाहरलाल नेहरू की वजह से हुआ.
उन्होंने यह विचार रखे हैं अपनी एक नई किताब.. 'जिन्ना- इंडिया, पार्टीशन, इंडिपेंडेंस' में.हालांकि इस किताब का लोकार्पण किया जाना है सोमवार यानी 17 अगस्त को लेकिन सार्वजनिक होने से पहले ही किताब विवादों से घिर गई है और चर्चा का विषय बनती जा रही है.
किताब के बहाने मोहम्मद अली जिन्ना का ज़िक्र एक बार फिर भारतीय राजनीति के गलियारों में हलचल पैदा कर रहा है.
अपनी इस किताब में जसवंत सिंह ने विभाजन का ठीकरा भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता जवाहरलाल नेहरू के सिर फोड़ा है.
उन्होंने कहा कि जिन्ना को इसके लिए बेवजह बदनाम किया जाता रहा.
बीबीसी से बातचीत में प्रकाशन समूह, रूपा एंड कंपनी की प्रकाशन संपादक, संजना ने बताया कि जसवंत सिंह की किताब में ऐसी कई बातें हैं जिन पर बहस छिड़ सकती है.
नेहरू बनाम जिन्ना
अपनी किताब में जसवंत सिंह ने लिखा है कि जिन्ना वर्ष 1945 तक हिंदू-मुस्लिम विवाद को विभाजन के चश्मे से नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या के तौर पर देखते थे.
उन्होंने अपनी किताब में यह तक कहा है कि भारत और पाकिस्तान के विभाजन की रूपरेखा और ज़रूरी तैयारी भी जवाहरलाल नेहरू ने की थी.
किताब यह भी बताती है कि दरअसल जिन्ना हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकार थे. उनकी जो छवि लोगों के सामने हैं, उनका व्यक्तित्व और कृतित्व उससे अलग था. उनके बारे में दुष्प्रचार भी किया गया और इसकी वजह से एक अलग छवि लोगों के दिमाग में बन गई है.
जसवंत सिंह बताते हैं कि इस किताब के पीछे उनकी पाँच साल से ज़्यादा की मेहनत है और इसके लिए उन्होंने देश और दुनिया के कई पुस्तकालयों, संदर्भ केंद्रों, जगहों पर जाकर साक्ष्य जुटाए हैं.
उन्होंने बताया कि दरअसल जिन्ना के राजनीतिक जीवन पर आधारित यह किताब उस दौर की राजनीति का दस्तावेज़ीकरण है.
'नेहरू ने तैयार किया था विभाजन का खाका'
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ
नेता जसवंत सिंह ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के
पीछे जिन्ना बेवजह बदनाम हुए और दरअसल यह जवाहरलाल नेहरू की वजह से हुआ.
उन्होंने यह विचार रखे हैं अपनी एक नई किताब.. 'जिन्ना- इंडिया, पार्टीशन, इंडिपेंडेंस' में.हालांकि इस किताब का लोकार्पण किया जाना है सोमवार यानी 17 अगस्त को लेकिन सार्वजनिक होने से पहले ही किताब विवादों से घिर गई है और चर्चा का विषय बनती जा रही है.
किताब के बहाने मोहम्मद अली जिन्ना का ज़िक्र एक बार फिर भारतीय राजनीति के गलियारों में हलचल पैदा कर रहा है.
अपनी इस किताब में जसवंत सिंह ने विभाजन का ठीकरा भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता जवाहरलाल नेहरू के सिर फोड़ा है.
उन्होंने कहा कि जिन्ना को इसके लिए बेवजह बदनाम किया जाता रहा.
बीबीसी से बातचीत में प्रकाशन समूह, रूपा एंड कंपनी की प्रकाशन संपादक, संजना ने बताया कि जसवंत सिंह की किताब में ऐसी कई बातें हैं जिन पर बहस छिड़ सकती है.
नेहरू बनाम जिन्ना
अपनी किताब में जसवंत सिंह ने लिखा है कि जिन्ना वर्ष 1945 तक हिंदू-मुस्लिम विवाद को विभाजन के चश्मे से नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या के तौर पर देखते थे.
उन्होंने अपनी किताब में यह तक कहा है कि भारत और पाकिस्तान के विभाजन की रूपरेखा और ज़रूरी तैयारी भी जवाहरलाल नेहरू ने की थी.
किताब यह भी बताती है कि दरअसल जिन्ना हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकार थे. उनकी जो छवि लोगों के सामने हैं, उनका व्यक्तित्व और कृतित्व उससे अलग था. उनके बारे में दुष्प्रचार भी किया गया और इसकी वजह से एक अलग छवि लोगों के दिमाग में बन गई है.
जसवंत सिंह बताते हैं कि इस किताब के पीछे उनकी पाँच साल से ज़्यादा की मेहनत है और इसके लिए उन्होंने देश और दुनिया के कई पुस्तकालयों, संदर्भ केंद्रों, जगहों पर जाकर साक्ष्य जुटाए हैं.
उन्होंने बताया कि दरअसल जिन्ना के राजनीतिक जीवन पर आधारित यह किताब उस दौर की राजनीति का दस्तावेज़ीकरण है.
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