आजादी के बाद 40 बड़े घोटाले
भ्रष्टाचार
के खिलाफ अन्ना हजारे की एक अपील ने मानों पूरे देश को नींद से जगा दिया
है। घोटालों और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता का गुस्सा सड़कों पर दिखाई दिया।
इसकी बड़ी वजह हाल के वर्षों में कुछ बड़े घोटालों का पर्दाफाश होना भी माना
जा रहा है। वैसे, 1947 से 2011 तक 40 से अधिक घोटाले हो चुके हैं और देश को
करीब 10 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है। देखा जाए तो देश में घोटाले की
बीज आजादी के बाद ही बो दी गई थी। इसकी शुरुआत जीप घोटाले से हुई थी।
1. जीप खरीद घोटाला (1948)
जीप
घोटाला देश की आजादी के तुंरत बाद 1948 में सामने आया था। पाकिस्तानी हमले
के बाद भारतीय सेना को जीपों की जरूरत थी। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद
तत्कालीन भारतीय उगााचुक्त वी.के मेनन इस सौदे में कूद पड़े। उस वक्त 300
पाउंड प्रति जीप के हिसाब से 1500 जीपों का आदेश दिए गए थे, लेकिन 9 महीने
तक जीपें नहीं आईं। 1949 में जाकर महज 155 जीपें मद्रास बंदरगाह पर
पहुंचीं। इनमें से ज्यादातर जीपें तय मानक पर खरी नहीं उतरीं। जांच हुई तो
मेनन दोषी पाए गए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। जल्द ही मेनन
नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।
2. साइकिल आयात घोटाल (1951)
1951
में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव एस.ए.वेंकटरमण थे। गलत तरीके से
एक कंपनी को साइकिल आयात करने का कोटा जारी करने का आरोप लगा। इसके बदले
उन्होंने रिश्वत भी ली। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
3.बीएचयू फंड घोटाला (1956)
यह
देश में शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़ा पहला घोटाला है। इसके अंतर्गत बीएचयू के
कुछ अधिकारियों ने फंड में हेराफेरी कर डाली गई। यह घोटाला 50 लाख रुपये
का था।
4.हरिदास मुंध्रा स्कैंडल (1958)
हरिदास
मुंध्रा कोलकाता बेस्ड इंडस्ट्रियलिस्ट थे। यह देश का पहला फाइनेंशियल बड़ा
स्कैंडल था। इस मामले का खुलासा फिरोज गांधी ने संसद में किया था। हरिदास
मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ
इंडिया के 1.2 करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन
वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन भी
इस मामले में दोषी पाए गए। दबाव बढ़ने पर वित्त मंत्री को पद से हटा दिया
गया। मूंध्रा को 22 साल की सजा मिली।
5. तेजा लोन स्कैम (1960)
बिजनेस
मैन जयंत धर्मा तेजा ने जयंती शिपिंग कंपनी शुरू करने के लिए 1960 में 22
करोड़ रुपये का लोन लिया था, लेकिन बाद में धनराशि को देश से बाहर भेज दिया।
उन्हें यूरोप में गिरफ्तार किया गया और छह साल की कैद हुई।
6. प्रताप सिंह कैरों स्कैम (1963)
पंजाब
के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार प्रताप सिंह कैरों देश के पहले एेसे
मुख्यमंत्री थे, जिनके खिलाफ अनाप-शनाप धन-संपत्ति जमा करने का आरोप था।
इसके अलावा, परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाने का मामला था।
7. पटनायक 'कलिंग ट्यूब्सÓ मामला (1965)
उड़ीसा
के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक अपनी निजी कंपनी 'कलिंग ट्यूब्सÓ को एक सरकारी
कॉन्ट्रेक्ट दिलाने में मदद करने का आरोप लगा था। इस मामले में बीजू
पटनायक को इस्तीफा देना पड़ा था।
8. मारुति घोटाला (1974)
मारु
ति घोटाला 1974 में हुआ था। इस घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा
गांधी का नाम खूब उछाला गया। मामल में पेसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने
के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।
9. कुओ ऑयल डील (1976)
वर्ष
1976 में हुए कुआे आइल डील घोटाले में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा 2.2
करोड़ हांगकांग की फर्जी कंपनी से डील की गई। इसमें बड़े स्तर पर घूस लेने का
आरोप लगा।
10. अंतुले ट्रस्ट
अंतुले
ट्रस्ट प्रकरण की गूंज 1981 में हुई। यह महाराष्ट में हुए सीमेंट घोटाले
से संबद्ध था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ए आर अंतुले का नाम एक घोटाले में
सामने आया। उन पर आरोप यह था कि उन्होंने इंदिरा गांधी प्रतिभा
प्रतिष्ठान, संजय गांधी निराधार योजना, स्वावलंबन योजना आदि ट्रस्ट के लिए
पैसा इकट्ठा किया था। जो लोग, खासकर बडे़ व्यापारी या मिल मालिक ट्रस्ट को
पैसा देते थे, उन्हें सीमेंट का कोटा दिया जाता था। इस मामले में
मुख्यमंत्री पद से ए आर अंतुले को हटना पड़ा।
11. एचडीडब्ल्यू दलाली मामला (1987)
जमर्नी
की पनडुब्बी निर्मित करने वाली कंपनी एचडीडब्ल्यू को काली सूची में डाल
दिया गया। मामला था कि उसने 20 करोड़ रुपये बैतोर कमिशन दिए हैं। आखिरकार
वर्ष 2005 में इस केस को बंद करने का फैसला लिया गया। यह फैसला एचडीडब्ल्यू
के पक्ष में रहा।
12. बोफोर्स घोटाला (1987)
1986
में स्वीडन की ए बी बोफोर्स कंपनी से 155 तोपें खरीदने का सौदा तय किया
गया। कहा गया कि इस सौदे को पाने के लिए 64 करोड़ रु पये की दलाली दी गई थी।
आेटावियो क्वात्रोची और राजीव गांधी का नाम इसमें सामने आया।
13. सेंट किट्स मामला (1989)
इस
मामले में वी पी सिंह की साफ छवि को धूमिल करने की कोशिश किया गया था। उस
वक्त नरसिम्हाराव विदेश मंत्री थे। वी पी सिंह पर अवैध पैसा लेने का आरोप
लगाया गया था। बाद में पता चला कि जिन दस्तावेजों के सहारे वी पी सिंह को
फंसाने की कोशिश की गई थी, उन पर अंग्रेजी में हस्ताक्षर थे, जबकि सच्चाई
यह थी कि वी पी सिंह किसी भी सरकारी दस्तावेज पर अंग्रेजी में हस्ताक्षर
नहीं करते थे।
14. हर्षद मेहता स्कैम (1992)
वर्ष
1992 में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंकों का पैसा स्टॉक मार्केट में
निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 5000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
15. इंडियन बैंक (1992)
वर्ष
1992 में ही बैंक से छोटे कॉरपोरेट और एक्सपोटर्स ने बैंक से करीब 13000
करोड़ रुपये उधार लिए। ये धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। उस वक्त बैंक के
चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।
16. चारा घोटाला (1996)
वर्ष
1996 में बिहार में हुआ यह उस समय का सबसे बड़ा घोटाला था। चारा घाटाले ने
देश में सनसनी फैला दी थी, क्योंकि यह एेसा घोटाला था, जो एक-दो करोड़ रुपये
से शुरू होकर अब 360 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा था। जानकारों की मानें तो
अभी भी यह पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि घपला कितनी रकम का था। इस घपले के
सूत्रधार बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे।
17. लक्खू भाई पाठक स्कैल
अचार
व्यापारी लक्खू भाई पाठक ने नरसिम्हाराव और चंद्रा स्वामी पर 10 लाख रु
पये रिश्वत लेने का आरोप लगाया। लक्खू भाई पाठक इंग्लैंड में रहने वाले
भारतीय व्यापारी थे। उन्होंने यह आरोप लगाया कि 100 हजार पाउंड उन्हें
बेवकूफ बनाकर इन दोनों ने ठग लिए थे।
18. टेलीकॉम स्कैम
सुखराम
जो कि दूरसंचार मंत्री थे, पर आरोप लगा कि उन्होंने हैदराबाद की एक निजी
कंपनी को टेंडर दिलाने में मदद की, जिसकी वजह से सरकार को 1.6 करोड़ रु पये
का घाटा हुआ। 2002 में उन्हें इस मामले में जेल भी जाना पड़ा।
19. यूरिया घोटाला
नेशनल
फर्टिलाइजर के एमडी सी एस रामकृष्णन ने कई अन्य व्यापारियों, जो कि
नरसिम्हाराव के नजदीकी थे, के साथ मिलकर दो लाख टन यूरिया आयात करने के
मामले में सरकार को 133 करोड़ रु पये का चूना लगा दिया। यह यूरिया कभी भारत
तक पहुंच ही नहीं पाई। इस मामले में अब तक कुछ भी नहीं हुआ।
20. हवाला घोटाला
देश
से बाहर धन भेजने की इस कला से आम हिंदुस्तानियों का परिचय इसी घोटाले की
वजह से हुआ। 1991 में सीबीआई ने कई हवाला ऑपरेटरों के ठिकानों पर छापे
मारे। इस छापे में एस के जैन की डायरी बरामद हुई। इस तरह यह घोटाला 1996
में सामने आया। इस घोटाले में 18 मिलियन डॉलर घूस के रूप में देने का मामला
सामने आया, जो कि बड़े-बड़े राजनेताआें को दी गई थी।
21. झारखंड मुक्ति मोर्चा मामला
नरसिम्हाराव
के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शैलेंद्र महतो ने यह खुलासा किया कि
उन्हें और उनके तीन सांसद साथियों को 30-30 लाख रु पये दिए गए, ताकि
नरसिम्हाराव की सरकार को समर्थन देकर बचाया जा सके। यह घटना 1993 की है। इस
मामले में शिबू सोरेन को जेल भी जाना पड़ा।
22. चीनी घोटाला
वर्ष
1994 में खाद्य आपूर्ति मंज्ञी कल्पनाथ राय ने बाजार भाव से भी महंगी दर
पर चीनी आयात का फैसला लिया यानी चीनी घोटाला। इस कारण सरकार को 650 करोड़
रु पये का चूना लगा। अंतत: उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। उन्हें इस मामले में
जेल भी जाना पडा।
23. जूता घोटाला
सोहिन
दया नामक एक व्यापारी ने मेट्रो शूज के रफीक तेजानी और मिलानो शूज के
किशोर सिगनापुरकर के साथ मिलकर कई सारी फर्जी चमड़ा कोऑपरेटिव सोसाइिटयां
बनाईं और सरकारी धन लूटा। 1995 में इसका खुलासा हुआ और बहुत सारे सरकारी
अफसर, महाराष्ट्र स्टेट फाइनेंस कार्पोरेशन के अफसर, सिटी बैंक, बैंक ऑफ
आेमान, देना बैंक आदि भी इस मामले में लिप्त पाए गए।
24. तहलका कांड
एक
मीडिया हाउस तहलका के स्टिंग ऑपरेशन ने यह खुलासा किया कि कैसे कुछ वरिष्ठ
नेता रक्षा समझौते में गड़बड़ी करते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को
रिश्वत लेते हुए लोगों ने टेलीविजन और अखबारों में देखा। इस घोटाले में
तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख
एडमिरल सुशील कुमार का नाम भी सामने आया। इस मामले में जॉर्ज ने इस्तीफा दे
दिया।
25. मैच फिक्सिंग
साल
2000 का मैच फिक्सिंग याद कीजिए। जेंटलमैन स्पोर्ट्स यानी क्रि केट में
मैच फिक्सिंग का धब्बा पहली बार भारतीय खिलाड़ियों पर लगा। इसमें प्रमुख रूप
से अजहरु द्दीन और अजय जडेजा का नाम सामने आया। अजय शर्मा और अजहर पर
आजीवन प्रतिबंध लगा तो जडेजा और मनोज प्रभाकर पर पांच साल का प्रतिबंध।
26.बराक मिसाइल रक्षा सौदे
बराक
मिसाइल रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार का एक और नमूना बराक मिसाइल की खरीदारी
में देखने को मिला। इसे इजरायल से खरीदा जाना था, जिसकी कीमत लगभग 270
मिलियन डॉलर थी। इस सौदे पर डीआरडीपी के तत्कालीन अध्यक्ष ए पी जे अब्दुल
कलाम ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी। फिर भी यह सौदा हुआ। इस मामले में एफआईआर
भी दर्ज हुई। एफआईआर में समता पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष आर के जैन की
गिरफ्तारी भी हुई।
27. यूटीआई घोटाला
48
हजार करोड़ रु पये का यह घोटाला पूर्व यूटीआई चेयरमैन पी एस सुब्रमण्यम और
दो निदेशकों एम एम कपूर और एस के बासु ने मिलकर किया। ये सभी गिरफ्तार हुए,
लेकिन सशाा किसी को नहीं मिली।
28. तेल के बदले अनाज
वोल्कर
रिपोर्ट के आधार पर यह बात सामने आई कि तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह
ने अपने बेटे को तेल का ठेका दिलाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।
उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
29. ताज कॉरिडोर
175
करोड़ रु पये के इस घोटाले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर
लगातार तलवार लटकी रही और अब भी लटकी हुई है। सीबीआई के पास यह मामला है।
30. मनी लांडरिंग
मुख्यमंत्री
रहते हुए कोई अरबों की कमाई कर सकता है, यह साबित किया झारखंड के
मुख्यमंत्री मधु कोडा ने। 4 हजार करोड़ से भी ज्यादा की काली कमाई की कोड़ा
ने। बाद में इन पैसों को विदेश भेजकर जमा किया और विदेशों में निवेश किया।
इस मामले में केस दर्ज हुआ। कोड़ा फिलहाल जेल में है।
31. आदर्श घोटाला
आदर्श
कोऑपरेटिव सोसाइटी (लि.) ने गैर कानूनी तरीके से कोलाबा के आवासीय क्षेत्र
नेवी नगर और रक्षा प्रतिष्ठान के आसपास इमारत का निर्माण किया। यह योजना
कारगिल युद्ध में शहीद हुए लोगों के परिवार वालों के लिए बनाई गई थी, जबकि
इसके फ्लैट्स 80 फीसदी असैनिक नागरिकों को आवंटित किए गए। इस कारनामे में
सेना के शीर्ष अधिकारी तक शामिल थे। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से इस्तीफा ले
लिया गया।
32. ताबूत घोटाला
भारत
और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद एक बेहद संगीन
मामला सामने आने से देशवासियों की भावनाएं बुरी तरह आहत हुईं। इस तरह की
बातें सामने आईं कि युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के शव को सम्मानजनक तरीके
से घर पहुंचाने के लिए जिन ताबूतों की खरीद हुई, उसमें भारी घोटाला हुआ।
इसी मामले में देश की केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कुछ वरिष्ठ सैन्य
अधिकारियों और अमरीका के एक ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोपी
अधिकारियों ने वर्ष 1999-2000 के दौरान एेसे 500 अल्यूमुनियम ताबूत और 3000
शव थैले खरीदने के लिए अमेरिका की एक कंपनी के साथ सौदा किया था। कारगिल
युद्ध के बाद तब विपक्ष में बैठ रही कांग्रेस ने तत्कालीन रक्षा मंत्री
जॉर्ज फर्नांडीस पर ताबूत आयात में घोटाले का आरोप लगाया था। विपक्ष ने
जॉर्ज से इस्तीफे की भी मांग की थी। बाद में इस मामले में उन्हें क्लीन चिट
दे दी गई थी।
33. केतन पारेख स्टॉक मार्केट घोटाला
स्टॉक मार्केट के नाम पर अपने शेयर होल्डरों को करारा झटका देते हुए केतन पारेख ने 1 हजार करोड़ रु पये का घोटाला किया।
34. आईपीएल घोटाला
वित्तीय
अनियमतिताआें के चलते आईपीएल-3 के समापन के तत्काल बाद आईपीएल प्रमुख ललित
मोदी के पद से निलंबित कर दिया गया। मामले की जांच अभी भी चल रही है। मोदी
के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस भी किया गया। किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान
रॉयल्स की मालिकी के हक पर सवाल भी उठा। एेसा माना जाता है कि इस
प्रतियोगिता में भारी मात्रा में काले धन लगा है। कोच्चि की टीम से जुड़े
केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को अपने पद से हाथ धोना पड़ा और उनकी मित्र सुनंदा
ने भी इससे खुद को अलग कर लिया। इस संघ का नेतृत्व करने वाली कंपनी
रांदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड को इस सौदे में 25 प्रतिशत फ्री
इक्विटी मिली थी। कहा गया कि इस फ्री इक्विटी में से 17 प्रतिशत कश्मीरी
ब्यूटीशियन सुनंदा पुष्कर को मिली। आईपीएल में 1200 से 1500 करोड़ रु पए का
घोटाला होने की बात कही जा रही है।
35. सत्यम घोटाला
सत्यम
घोटाला कॉरपोरेट जगत में अबतक का सबसे बड़ा घोटाला था। उस समय भारत की सबसे
बड़ी आईटी कंपनी सत्यम कम्प्यूटर सर्विस ने रियल स्टे्टस और शेयर मार्केट
के जरिए देश को 14 हजार करोड़ रु पये चूना लगाया। कंपनी के चेयरमैन
रामालिंगा राजू ने लोगों को काफी समय तक अंधेरे में रखा और शेयर के सारे
पैसे अपने नाम कर लिए।
36. स्टांप घोटाले
भारत
में हुए हर घोटालों में कुछ न कुछ नया जरूर था। चाहे वह घोटाले की राशि हो
या फिर घोटाले का तरीका। एेसे में एक नए और अदभुत घोटाले के रूप में सामने
आया स्टांप घोटाला। स्टांप की हेरा फेरी कर अब्दुल करीम तेलगी ने देश को
20 हजार करोड़ रु पये का लंबा चूना लगाया। इस घोटाले की खास बात यह थी कि
तेलगी को सरकार का पूरा सहयोग मिला, जिसके चलते उसने स्टांप की हेरा फेरी
को अंजाम दिया।
37. हसन अली टैस्क चोरी मामला
देश
के सबसे बड़े कथित टैक्स चोर हसन अली पर 40 हजार करोड़ रु पए से ज्यादा की
टैक्स चोरी का आरोप है। हसन अली और उनके सहायकों पर विदेशों में काला धन
रखने के आरोप हैं। हसन अली पर आरोप है कि उसने स्विस बैंकों में 8 अरब डॉलर
रखे हैं। उस पर यह भी आरोप है कि उसने अपनी आमदनी छिपाई और 1999 के बाद से
आय कर रिटर्न दाखिल नहीं किया है।