शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

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57वें बाबा साहेब के माहपरिनिर्वाण पर युग पुरूष को यादकर उनके द्वारा
कठिनार्इयों से गुजरते हुए त्याग बलिदान देकर मूलनिवासी
बहुजनों को हक और अधिकार दिलाने के लिए समता स्वतंत्रता बंधुता पर आधारित व्यवस्थ की बात कही और असमानता का घोर विरोध कर सभी को समान रूप से जीने का अधिकार हो इसके लिए अपने परिवार और स्वयं की सेहत का ध्यान रखे बिना समाज कल्याण के लिए अथक प्रयास किया! कर्इ समस्याओं का सामना करना पड़ा मगर अपने कार्य से विचलित नहीं हुए मानवता की पहचान को सही रूप देने के लिए दुनिया में सबसे अच्छा संविधान दिया जिसे पूरी दुनिया सलाम करती है। मगर भारत में आये आक्रमणकारी विदेशी यूरेशियन ब्राह्राणों को समानता मानवता की बात रास नही आर्इ और बाबा साहेब को 6 दिसम्बर 1956 को रात के दो बजे के बाद धोखे से मार दिया गया ऐसे प्रमाण मिले है जो बाबा साहेब की हत्या ''क्यों कैसे और कब की गर्इ लिखित पुस्तक प्रो. विलास खरात ने रिसर्च कर लिखी है। जिन्हें एक बार जरूर पढ़े क्योंकि समता स्वतंत्रता बन्धुता की बात जब-जब उठी उस समय ब्राह्राणवादियों ने मूलनिवासियों को कुचलने का काम किया मगर अब बामसेफ और भारत मुकित मोर्चा मैदान में है। किसी मानव विरोधी की नहीं चलने वाली है अब बाबा साहेब के सपनों का भारत बनेगा जो मानव कल्याण की सही बात करेगा वहीं भारत की व्यवस्था चलायेगा नहीं तो अब भारत मुकित मोर्चा उसे सबक सिखायेगा, जब तक राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन खड़ा होकर बाबा साहेब के अधूरे सपनों को पूरा नहीं करता तब तक सच्ची श्र(ा का नमन अधूरा है इसलिए बाबा साहेब के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए बाबा साहेब के साथ-साथ सभी मूलनिवासी महापुरूषों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मूलनिवासी बहुजनों को मूलनिवासी नायक के साथ लगकर साथ सहयोग करना होगा तभी हम
मानसिक गुलामी से बाहर निकलकर अपनी आजादी के साथ स्वतंत्र दिमाग से कार्य कर पायेंगे। अन्यथा हम अपनी व्यवस्था को बनाने की बातें करते रहेंगे। और दुश्मन मिटाने की चाल चलता रहेगा तो बाबा साहेब का कारवां आगे नहीं बढ़ेगा इसलिए बाबा साहेब की विचारधारा को एक नर्इ जान देनी होगी समाज में ऐसा महसूस है कि अब नहीं तो कभी नहीं जिसके लिए एक बार तन-मन और धन के साथ लग जाओं बस थोड़ी सी देर है मगर अंधेर नहीं है। जिसके लिए हम सबको आगे आना होगा क्याेंकि कुछ पाने के लिए कुछ परिश्रम करना होगा मुफ्त में कुछ नहीं मिलता यह सैधानितक बात है और आजमार्इ हुर्इ बात है इसलिए आज आपके सामने सिथति-पतिरिसिथत स्पष्ट है बाबा साहब के परिश्रम से मिली विचारों की अभिव्यकित और मान-सम्मान को बनाये रखने के लिए आगे आना ही होगा तभी इसे बनाये रख सकते है।
समता, स्वतंत्रता, बन्धुता एवं न्याय पर आधारित व्यवस्था के समर्थक बहुजनाें के मसीहा भारत रत्न बौधिसत्व डा.भीमराव अम्बेडकर के 57वें महापरिनिर्वाण के अवसर पर मूलनिवासी नायक परिवार की ओर से श्र(ा सुमन अर्पित करते हैं। जो ऐसे महापुरूष की बदौलत बहुजनों को मानवीय जीवन जीने का रास्ता दिखाया।


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