बीरभूमः कथित सामूहिक बलात्कार पर सब ख़ामोश
रविवार, 26 जनवरी, 2014 को 07:04 IST तक के समाचार
बीरभूम में कथित सामूहिक बलात्कार
मामले में पुलिस प्रशासन अब एकदम ख़ामोश है. कोई भी कथित बलात्कार की
पुष्टि करने को तैयार नहीं है उधर गांव वाले कह रहे हैं कि बलात्कार हुआ ही
नहीं.
लेकिन राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री का कहना है कि पीड़िता की बात को ही प्राथमिकता दी जाएगी."मैं कुछ नहीं जानता."
राजारामपुर-सुबलपुर 'लाल मिट्टी की धरती' के किसी अन्य गांव की तरह ही है. बीरभूम ज़िले की लाभपुर सड़क से कई किलोमीटर दूरी पर स्थित यह गांव भारत के पहले नोबल पुरस्कार विजेता रबिंद्र नाथ टैगौर के शांतिनिकेतन से ज़्यादा दूर नहीं है.यह एक आदिवासी गांव है जिसके ज़्यादातर घर मिट्टी के बने हैं. गांव समृद्ध नहीं है लेकिन बहुत गरीब भी नहीं है.
कोई भी आपको गांव के मुखिया बलाई मद्दी का घर दिखा देगा. मिट्टी का बना एक दो मंजिला घर, जिसकी लहरदार चादर की छत है, सामने घास से भरा एक आंगन है. घर के आगे एक फूस का कमरा है जिसे पर पुलिस ने घेरा डाल दिया है.
पुलिस ने मुझे "घटना की जगह" दिखाई. एफ़आईआर के अनुसार 20 वर्षीय आदिवासी लड़की का फूस के कमरे में 12 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था.
शनिवार को फॉरेंसिक वैज्ञानिकों ने वहां सबूतों की तलाश में अल्ट्रा-वॉयलट रे के साथ छानबीन की थी.
मुखिया के घर से 100 मीटर दूर मैंने एक महिला को उस घटना के बारे बात करते हुए सुना. मैंने उन्हें बात करने के लिए मना लिया लेकिन अपना नाम ज़ाहिर करने से साफ़ इनकार कर दिया.
"बलात्कार हुआ ही नहीं"
उनके बेटे को उस घटना के सिलसिले में गिरफ़्तार कर लिया गया था. उन्होंने कहा, "यकीन मानो, कोई बलात्कार नहीं हुआ. यह किसी किस्म का षड्यंत्र है."मैंने उन्हें विस्तार से बताने को कहा.
उन्होंने कहा, "लड़की और उसके परिवार को बार-बार चेतावनी दी गई थी कि वह जाति से बाहर किसी से संबंध न रखे. लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया. सोमवार को हमने उसे एक गैर-आदिवासी लड़के के साथ रंगे-हाथों पकड़ लिया. वह लड़की के घर पर थे."
उन्होंने आगे कहा, "हम उन्हें पकड़कर मुखिया के घर ले गए और एक पेड़ से बांध दिया. एक सालिशि सभा (एक गैरकानूनी अदालत, जिसे गांव में स्थानीय स्तर पर मामले निपटाने के लिए बनाया जाता है) अगले दिन सुबह बुलाई गई. मेरे और मेरे बेटे समेत गांव के आदमी-औरतों ने रात भर उन दोनों पर नज़र रखी. उस रात किसी ने भी उसका बलात्कार नहीं किया."
महिला ने कहा कि पंचायत ने 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया. जिसे लड़के के परिवार ने चुका दिया और दोनों को जाने दिया गया. लेकिन मेरे लिए आश्चर्यजनक घटनाओं का अंत यहीं नहीं हुआ.
उन्होंने कहा, "लड़की को उसका बड़ा भाई वापस ले गया था. मंगलवार को वह पूरा दिन अपने घर पर रही. बुधवार को हमने उसे एक साइकिल पर जाते हुए देखा, उसकी मां उसके साथ थी. देर शाम पुलिसवाले गांव में आए और हमारे आदमियों को उठाकर ले गए. हमें पता चला कि उसने सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवाई है."
"वह कहानी क्यों गढ़ेगी"
आदिवासी बहुत सघन रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और अक्सर एक ही स्वर में बोलते हैं. वे मुझे पीड़िता के घर ले गए.एक आंगन था, एक-दूसरे से सटे दो कमरे, दोनों ही बंद. कुछ पहने हुए कपड़े और एक जोड़ी जूते बाहर पड़े हुए थे.
एक कमरे की बाहरी दीवारों पर फ़िल्मी हीरो और हीरोइनों के पोस्टर चिपके थे.
स्थानीय लोगों ने बताया कि पीड़िता ने दिल्ली में तीन साल तक एक घरेलू सहायिका के रूप में काम किया था और कुछ महीने पहले वापस आई थी.
गांववालों ने बताया कि लड़की उस लड़के के साथ एक सहायक के रूप में काम कर रही थी. मुझे बाद में पता चला कि पीड़िता का कथित प्रेमी एक शादीशुदा आदमी है, जिसके परिवार में बीवी के अलावा बेटी और बेटा भी हैं.
पीड़िता के घर में एक लड़का महिलाओँ के समूह और मेरी बातें सुन रहा था. पता चला कि वह पीड़िता का सबसे छोटा भाई सोम मुर्मु है.
सोम पड़ोस के गांव में अपने ससुरालवालों के साथ रहता है और उसने अपनी बहन पर हुए अत्याचार की कहानी अपनी मां और बहन से बाद में सुनी.
मैंने उससे पूछा कि दूसरी महिलाएं उसकी बहन से बिल्कुल उलट कहानी क्यों सुना रही हैं?
इस पर सोम मुर्मु ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उसकी बहन पर ज़रूर अत्याचार हुए थे. उसने पलटकर पूछा, "वह ऐसी कहानी क्यों गढ़ेगी?"
"गोपनीय रिपोर्ट"
बाद में बंगाल की महिला और बाल विकास मंत्री सशि पांजा ने सिउरी सरकारी अस्पताल में जाकर पीड़िता का हालचाल पूछा. वहां पत्रकारों ने घटना को लेकर गांववालों की पक्ष की बात पूछी.इस पर मंत्री का कहना था, "ऐसी शिकायतों में पीड़िता के पक्ष को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है. और यह मेडिको-लीगल (चिकित्स-आधारित कानूनी) मामला है. इसकी जांच रिपोर्ट बेहद गोपनीय होती हैं और तो और मैंने भी इन्हें नहीं देखा है."
पांच सदस्यीय डॉक्टरों के दल के प्रमुख डॉक्टर असित बिस्वास मंत्री के बयान को ही दोहराते हैं.
वह कहते हैं, "चिकित्सकीय जांच की रिपोर्ट गोपनीय हैं और सिर्फ़ पुलिस को ही दी जाएगी. आप मुझसे यह जानने की कितनी ही कोशिश करें कि उसका बलात्कार हुआ है या नहीं मैं एक शब्द भी नहीं बोलूंगा. मैं बस आपको यह बता सकता हूं कि वह लड़की अब बेहतर स्थिति में है."
असित बिस्वास कहते हैं, "रक्तजांच और सोनोग्राफ़ी हो चुकी है और कुछ और जांच अभी की जा रही हैं. वह पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत कर रही थी. लेकिन अब वह ठीक है. उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत मनोवैज्ञानिक सलाह की है. वो अब भी सदमे में है."
यह पूछे जाने पर कि क्या उसके साथ बलात्कार हुआ था, वह फिर ख़ामोश हो गए. इससे पहले उन्होंने कहा था कि शुरुआती जांच से पता चला है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है.
मैं शुक्रवार को पद ग्रहण करने वाले पुलिस अधीक्षक आलोक राजोरिया से भी मिला. उनके पूर्ववर्ती सी सुधाकर को हटा दिया
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