क्या बृहस्पति के चंद्रमाओं पर है एलियन?
मंगलवार, 28 मई, 2013 को 10:53 IST तक के समाचार
मंगल पर भेजे गए उपग्रह
अपॉर्च्युनिटी ने पिछले सप्ताह ऐसी कई दशाओं की खोज की जिससे इस बात को बल
मिलता है कि मंगल पर कभी जीवन रहा होगा.
सौर मंडल में कहीं और जीवन की खोज की अधिकतम
संभावनाओं के लिए हमें धूल भरे मैदानों, विशाल पर्वतों और मंगल की गहरी
घाटियों से परे जाना होगा. इसके लिए हमें एस्टेरॉयड बेल्ट से भी आगे जाकर
छानबीन करनी होगी.बृहस्पति के लगभग 70 चंद्रमाओं का ब्यौरा मिल चुका है और उनमें चार सबसे प्रमुख चंद्रमा हैं: लो, कैलिस्टो, गेनीमेड और यूरोपा.
लो ज्वालामुखियों, उबलते लावा और जहरीले सल्फर के गुबार से भरा हुआ है, कैलिस्टो बर्फ़ीले चट्टानों में ढका है लेकिन गेनीमेड और यूरोपा पर बर्फ की विशाल परत जमा है, जिसके नीचे पानी का समंदर है.
पानी मतलब जीवन
इस कारण क्लिक करें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित बृहस्पति चंद्रमाओं के मिशन जूस की शुरुआत की है. जूस ज्यूपिटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर का संक्षित्त नाम है.
इस अभियान के तहत 2022 में उपग्रह को प्रक्षेपित करने की योजना है, जो 2030 बृहस्पति तक पहुँचेगा.
उपग्रह करीब 3 वर्षों तक बृहस्पति के वातावरण और उसके बर्फीले चन्द्रमाओं का अध्ययन करेगा और अंत में गेनीमेड की कक्षा में दम तोड़ देगा. गेनीमेड सौर मंडल में सबसे कम उम्र का चंद्रमा है.
किसकी रहेगी तलाश
इस परियोजना के एक प्रमुख वैज्ञानिक यूनिवर्सीटी कॉलेज लंदन के एंड्रयू कोट्स ने कहा कि इस शानदार मिशन में सभी तीन (बर्फ वाले) चंद्रमाओं की तुलना की जाएगी और वहाँ जीवन की संभावनाओं को तलाशा जाएगा."आज हम यूरोपा के बारे में जितना जानते हैं, उसके आधार यह मानने की काफी संभावनाएँ हैं कि वहाँ जीवन है.”"
केविन हैंड, अंतरिक्ष जीवविज्ञानी, नासा जेट प्रपल्शन लैब्रटॉरी, कैलिफोर्निया
गेनीमेड और यूरोपा दोनों में ये सभी चीजें पाई जा सकती हैं. उनमें तरल जल तो निश्चित रूप से है और उनमें जीवन के लिए मॉलिकुलर बिल्डिंग ब्लॉक्स भी आसानी से हो सकते हैं. जहाँ तक ऊर्जा की बात है तो अंतरिक्ष जीवविज्ञानियों के बीच पारंपरिक तौर पर यूरोपा पसंदीदा रहा है.
यह बृहस्पति के चंद्रमाओं में एकलौता है जहाँ लहराता समुद्र हो सकता है. इसका अर्थ है कि वहाँ जलतापीय प्रपात की संभावना हो सकती है. चूंकि वहाँ सूर्य से उल्लेखनीय ऊर्जा नहीं मिलती है, इसलिए जलतापीय प्रपात जीवन के लिए रासायनिक ऊर्जा उपलब्ध करा सकते हैं.
यूरोपा के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं, वह नासा के क्लिक करें गैलिलियो मिशन से मिली है. 1990 के दशक के मध्य में शुरू हुए इस मिशन ने बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं पर करीब 8 साल गुजारे.
यूरोपा पर जीवन
नासा के कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रपल्शन लैब्रटॉरी के अंतरिक्ष जीवविज्ञानी केविन हैंड ने कहा, “जिसे हम जीवन मानते हैं, उसके मद्देनजर यह माना जा सकता है कि वहां पृथ्वी के मानकों के अनुसार जीवन की संभावना है.”
पृथ्वी पर स्थित दूरदर्शियों का इस्तेमाल करते हुए हैंड और उनके साथियों ने हाल में इस बात का पुष्टि की है कि यूरोपा की अधिकांश सतह पर हाइड्रोजन परऑक्साइड काफी मात्रा में उपलब्ध है. और मंगल के विपरीत वहाँ बड़े बहुकोशकीय जीव के लिए पर्याप्त ऊर्जा हो सकती है.
उन्होंने बताया कि, “हम पृथ्वी पर जीवन के जटिल स्वरूपों के विकास के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते हैं और इसलिए यूरोपा के बारे में अधिक अटकलें लगाना मुश्किल है.”
हैंड ने समझाया, “यूरोपा के सतह पर बर्फ के विकिरण से तैयार हाइड्रोजन परऑक्साइड और ऑक्सीजन जैसे घटकों के संकेत मिलते हैं कि इससे रासायनिक और ऊर्जा सम्पन्न समुद्र की संभावना को बल मिलता है जो जटिल जीवों को जन्म देने में सक्षम हो सकता है.”
तो यदि वहाँ जीवन है तो वह किस रूप में हो सकता है?
एलियन मछलियाँ
हालांकि विशाल कानों वाली एलियन मछलियों से भरे एक समुद्र की कल्पना काफी रोमांचक है, लेकिन जाहिर तौर पर यह अभी तक केवल अटकलबाजी ही है.
जीवन की संभावनाओं के प्रमाण बढ़ रहे हैं, लेकिन जीवन की संभावनाओं का अर्थ यह नहीं है कि वह जीव हैं. वास्तव में कोट्स बताते हैं कि गेनीमेड में कहीं बेहतर संभावनाएँ हैं.
वह कहते हैं कि, “इसके पास एक चुम्बकीय क्षेत्र है, जो उसे विकिरण से बचाता है. खास तौर से यूरोपा के साथ एक समस्या यह है कि वहाँ के वातावरण में विकिरण काफी अधिक है.” इसके अलावा गेनीमेड के तरल समुद्र के ऊपर जमी बर्फ भी उसे विकिरण से बचाती है.
बरसों लगेंगे
इस बारे में निराश करने बात बात यह है कि यदि सब कुछ तय योजना के मुताबिक होता चला गया तो भी हमें जूस के बृहस्पति तक पहुँचने के लिए 17 साल तक और गेनीमेड की कक्षाओं तक पहुँचने के लिए 19 साल इंतजार करना पड़ेगा, तभी हम किसी जवाब के नजदीक होंगे.लेकिन कोट्स इसके उजले पक्ष की ओर देखते है: “यह सोचना उल्लेखनीय है कि जब जूस गेनीमेड की कक्षाओं में प्रवेश करेगा, उस समय आज दो साल का बच्चा पीएचडी कर रहा होगा.”
और अगर यह साबित होता है कि यूरोपा और गेनीमेड जैसी अजीबो-गरीब दुनिया में जीवन है तो इस बात की बहुत अधिक संभावनाएँ होंगी कि इस ब्रहमांड में जीवन बड़े पैमाने पर है.
और वास्तव में यह काफी रोमांचक है.
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