मंगलवार, 28 मई 2013

 

सलवा जुडूम का बदला लेकिन खेद भी: नक्सली नेता

 मंगलवार, 28 मई, 2013 को 12:42 IST तक के समाचार

महेन्द्र कर्मा (फ़ाइल फ़ोटो)
महेन्द्र कर्मा ने 2005 में सलवा जुडूम का गठन किया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया था.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के क़ाफ़िले पर हुए घातक हमले के तीन दिन बाद भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी) ने कहा है कि हमले का लक्ष्य मुख्य रूप से महेन्द्र कर्मा तथा ‘कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं का ख़ात्मा करना था.’
सोमवार देर शाम क्लिक करें बीबीसी को भेजी गई एक विज्ञप्ति और एक रिकॉर्ड किए गए बयान में दंडकारण्य विशेष ज़ोनल कमिटी के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी ने हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा कि सलवा जुडूम का बदला लेने के लिए हमला किया गया था.
गुड्सा उसेंडी का कहना था कि 'दमन की नीतियों' को लागू करने में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की समान भागीदारी है.
हालांकि माओवादियों के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि छत्तीसगढ़ में तो पिछले 10 बरसों से भारतीय जनता पार्टी का शासन है फिर उन्होंने कांग्रेस की रैली से लौट रहे नेताओं को क्यों निशाना बनाया?
"कर्मा का परिवार ‘भूस्वामी होने के साथ-साथ आदिवासियों का अमानवीय शोषक व उत्पीड़क’ रहा है. बस्तर में जो तबाही मचाई गई और जो क्रूरता बरती गई, उसकी तुलना में इतिहास में बहुत कम उदाहरण मिलेंगे. माओवादियों के अनुसार सलवा जुडूम छत्तीसगढ़ की जनता के लिए अभिशाप बन गया था."
गुडसा उसेंडी
ग़ौरतलब है कि शनिवार को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा से लौट रहे नेताओं पर हुए नक्सली हमले में प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा समेत 24 लोगों की मौत हो गई थी.

'जनता के लिए अभिशाप'

सलवा जुडूम की चर्चा करते हुए उसेंडी का कहना था, "बस्तर में जो तबाही मचाई गई और जो क्रूरता बरती गई, उसकी तुलना में इतिहास में बहुत कम उदाहरण मिलेंगे."
माओवादियों के अनुसार सलवा जुडूम छत्तीसगढ़ की जनता के लिए अभिशाप बन गया था.
राज्य के पूर्व गृहमंत्री और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल पर माओवादियों का आरोप है कि वो जनता पर ‘दमनचक्र चलाने में आगे रहे थे’.
नक्सली हमला
इस हमले में कुल 24 लोग मारे गए थे.
उसेंडी का कहना है कि पटेल के समय में ही बस्तर क्षेत्र में पहली बार अर्ध-सैनिक बलों की तैनाती की गई थी.
लेकिन पटेल तो छत्तीसगढ़ के बनने से पहले दिग्विजय सिंह के समय में मध्यप्रदेश के मंत्री थे.

वीसी शुक्ल

हमले का शिकार होने वाले कांग्रेसी नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ल भी शामिल थे. शुक्ल बुरी तरह से घायल हुए थे और फ़िलहाल दिल्ली से सटे गुड़गांव के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
वीसी शुक्ल पर हमले के बारे में उसेंडी ने कहा, ''ये भी किसी से छिपी हुई बात नहीं है कि लंबे समय तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहकर गृह विभाग समेत विभिन्न अहम मंत्रालय संभालने वाले वीसी शुक्ल भी जनता के दुश्मन हैं, जो साम्राज्यवादियों, दलाल पूंजीपतियों और ज़मींदारों के वफ़ादार प्रतिनिधि के रूप में शोषणकारी नीतियाँ बनाने और लागू करने में सक्रिय रहे.''
लेकिन वीसी शुक्ल तो लगभग दस साल से छत्तीसगढ़ या केंद्र की राजनीति में अहम भूमिका नहीं निभा रहे हैं फिर उन्हें क्यों निशाना बनाया गया ये समझ से परे है.
कांग्रेस के क़ाफ़िले पर हुए हमले में कई निर्दोष लोगों की भी हत्या हुई जैसे वाहनों के ड्राइवर, ख़लासी और कांग्रेस के निचले स्तर के नेता.
"'दमन की नीतियों' को लागू करने में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की समान भागीदारी है."
गुडसा उसेंडी
माओवादियों ने इन लोगों की हत्या पर खेद प्रकट किया है.

'सेना की ज़रूरत नहीं'

इस बीच माओवादी हमले के कारण चौतरफ़ा हमला झेल रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सुरक्षा में चूक की बात स्वीकार की है.
एक भारतीय समाचार चैनल से बातचीत के दौरान रमन सिंह ने कहा कि क्लिक करें नक्सलियों से निपटने के लिए फ़िलहाल सेना की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सेना का इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस इस हमले के ख़िलाफ़ मंगलवार को राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री ने एक बयान जारी कर सभी ज़िला और नगर समितियों को धरना प्रदर्शन करने के लिए कहा है.
निर्मल खत्री ने बयान में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि रमन सिंह सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.
हालांकि हमले के दूसरे दिन हालात का जायज़ा लेने छत्तीसगढ़ गए क्लिक करें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि फ़िलहाल दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सबसे पहले घायलों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की ज़रूरत है.
 
 
 
 
'सलवा जुडूम का लिया बदला, निर्दोषों की हत्या का खेद'
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान
First Published:28-05-13 10:12 AM
Last Updated:28-05-13 03:47 PM
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नक्सलियों ने एक चिट्ठी लिखकर निर्दोषों, जैसे काफिले में शामिल ड्राइवर, कंडक्टर, कांग्रेस के छोटे नेताओं की हत्या के लिए माफी मांगी है। यह चिट्ठी बीबीसी को भेजी गई है। चिट्ठी के साथ-साथ रिकॉर्ड कराए गए बयान में माओवादियों ने कहा है कि कांग्रेस के काफिले पर हुए हमले में वाहनों के ड्राइवर, खलासी और कांग्रेस के निचले स्तर के नेताओं की मौत हुई है। उसके लिए हमें खेद है।
नक्सलियों ने कहा है कि उनका निशाना महेन्द्र कर्मा थे और यह हमला सलवा जुडूम चलाने की वजह से किया गया था। माओवादियों ने बयान में कहा गया है कि महेन्द्र कर्मा का परिवार भूस्वामी होने के साथ-साथ आदिवासियों का अमानवीय शोषक और उत्पीड़क रहा है। माओवादियों की चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि सलवा जुडूम के दौरान सैकड़ों महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। साथ ही उसमें दावा किया गया है कि सलवा जुडूम के गुंडों और सरकारी सशस्त्र बलों ने एक हजार से ज्यादा आदिवासियों की हत्या की। माओवादियों के बयान में कहा गया है कि रमन सिंह और महेन्द्र कर्मा के बीच कितना अच्छा तालमेल रहा, इसे समझने के लिए एक तथ्य काफी है कि मीडिया में कर्मा को रमन मंत्रिमंडल का सोलहवां मंत्री कहा जाने लगा था। नक्सलियों के जोनल कमेटी के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी ने कहा कि कि राज्य के पूर्व गृहराज्य मंत्री रह चुके छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल जनता पर दमनचक्र चलाने में आगे रहे थे। उसेंडी ने कहा कि पटेल के समय में ही बस्तर क्षेत्र में पहली बार अर्द्ध−सैनिक बलों की तैनाती की गई थी।

विद्याचरण शुक्ल पर हुए हमले के बारे में माओवादियों ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में रहने वाले विद्याचरण ने साम्राज्यवादियों, पूंजीपतियों और ज़मीनदारों के वफादार प्रतिनिधि के रूप में शोषणकारी नीतियों को बनाने और लागू करने में सक्रिय भागीदारी निभाई। अपने इस बयान में माओवादियों ने कहा है कि दमन की नीतियों को लागू करने में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की समान भागीदारी है और इसलिए संगठन ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को निशाने पर लिया है।

उसेंडी ने कहा कि 1996 में बस्तर में छठी अनुसूची में लागू करने की मांग से एक बड़ा आंदोलन चला था, हालांकि उस आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से भाकपा ने किया था लेकिन भाकपा−माले ने भी उसमें सक्रिय भूमिका निभाई थी।

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