दुनिया का सबसे नन्हा उड़नेवाला रोबोट
शनिवार, 4 मई, 2013 को 09:40 IST तक के समाचार
देखिए यह नन्हा रोबोट एक कीट की तरह कैसे उड़ान भर रहा है.
अमरीकी वैज्ञानिकों ने कीट के आकार का उड़ने वाला
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एक रोबोट बनाया है. यह रोबोट कीट की तरह फुर्तीला, चालाक और तेज है.
यह 'कीट रोबोट' कार्बन फाइबर से बनाया गया है. इसका वजन एक ग्राम से भी कम है.इसको बनाने वाले हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के नन्हें रोबोट का इस्तेमाल बचाव कार्यों के लिए बखूबी किया जा सकता है.
उदाहरण के लिए ये कीट रोबोट क्लिक करें ढही हुई इमारत के मलबों के बीच के छोटे-छोटे बेहद अंदरुनी हिस्सों में आ-जा सकते हैं.
इस कीट रोबोट को बनाया है डॉ रॉबर्ट वूड के नेतृत्व में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉ केविन मा और उनकी टीम ने. इस टीम का दावा है कि उन्होंने दुनिया का सबसे छोटा उड़ने वाला रोबोट बनाया है.
फुर्तीला और चुस्त
"किसी इमारत के ध्वस्त होने पर उसके मलबों में दबे जिंदा लोगों का पता लगाने और उनको बचाने के लिए कीट रोबोट का उपयोग किया जा सकता है."
डॉ केविन माः हावर्ड विश्वविद्यालय
कीट रोबोट की ये चुस्ती काफी हद तक उसके पंखों की गति के कारण संभव हो पाती है.
बेहद तीव्र गति से उड़ते हुए यह रोबोट अपनी उड़ान को संतुलित रख सकता है. हवा में मंडराने या दुश्मन की ओर से किए गए अचानक हमले से निपटने में इसके पंख इसकी मदद करते हैं.
किसी भी क्लिक करें जीते जागते कीट की तरह ही इस कीट रोबोट के पंख भी एक सेकेण्ड में 120 बार फड़फड़ाते हैं.
शोधकर्ताओं ने पंख को गति देने के लिए पीजोइलेक्ट्रिक नाम के एक खास तरह का पदार्थ इस्तेमाल किया है. वोल्टेज देने पर यह फैलता-सिकुड़ता है.
बहुत तेजी से वोल्टेज घटाने-बढ़ाने से यह वैसे ही काम करता है जैसे कोई कीट अपनी नन्हीं मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हुए अपने पंखों को तेज़ी से फड़फड़ाता हैं.
डॉ मा बताते हैं, “हम किसी भी जैविक मांसपेशियों की ही तरह इसे फैला सकते हैं, सिकोड़ सकते हैं.”
बेहद उपयोगी
यह रोबोट किसी भी दूसरे कीट की तरह उड़ने में फुर्तीला और चुस्त है
डॉ ने आगे बताया कि इस तरह के उड़ने वाले रोबोट का इस्तेमाल कई तरीके से किया जा सकता है.
उन्होंने बताया, “हम इस तरह के रोबोट का इस्तेमाल आपदा वाली स्थितियों में कर सकते हैं. जब कोई इमारत गिरती है तो हम उसके मलबों में दबे जिंदा लोगों का पता लगाने और उनको बचाने के लिए कीट रोबोट का उपयोग कर सकते हैं.”
इनका इस्तेमाल पर्यावरण की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है. इन्हें रिहायशी इलाकों में खास रसायनों या अन्य कारकों का पता लगाने के लिए भेजा जा सकता है.
डॉ मा का तो यहां तक मानना है कि यह रोबोट किसी भी दूसरे कीट पतंगों की तरह फसलों के परागण में भी सहायक हो सकता है.
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी डॉ जॉन डायर भी कीटों की उड़ान का अध्ययन करते हैं. उन्होंने भी माना है कि ये उड़ने वाले रोबोट “इंजीनियरिंग का कमाल हैं.”

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