शनिवार, 31 अगस्त 2013
बुधवार, 28 अगस्त 2013
हे राम! आसाराम, नाबालिग लड़की से मुख मैथुन करवाना चाहते थे आसाराम
हे राम! आसाराम, नाबालिग लड़की से मुख मैथुन करवाना चाहते थे आसाराम
Posted by: Ankur Kumar
Updated: Tuesday, August 27, 2013, 16:25 [IST]
पहले ये खबर आई कि जोधपुर पुलिस ने आसाराम बापू के खिलाफ बलात्कार का केस नहीं चलाएगी मगर थोड़े ही देर बाद जोधपुर पुलिस ने इस खबर का खंडन भी कर दिया। मगर अब जोधपुर पुलिस का जो वर्जन सामने आ रहा है उसके हिसाब से ये साफ हो गया है कि लड़की के साथ आसाराम ने अश्लीलता और अभद्रता जरूर की थी लेकिन लड़की द्वारा सख्ती से मना किये जाने के कारण न तो वे उसके साथ मुख मैथुन की अपनी हसरत पूरी कर सके और न ही उसका शील भंग कर पाये।
इंडिया टूडे में प्रकाशित खबर के मुताबिक अगर जोधपुर पुलिस द्वारा दिये जा रहे वक्तव्य को आधार मानें तो इस दौरान आसाराम ने नाबालिग बच्ची के प्रति अपनी पूरी दरिंदगी का परिचय जरूर दिया। अगर पूरी घटना का सिलसिलेवार विश्लेषण किया जाये तो जो तस्वीर सामने आ रही है उसके मुताबिक 15 अगस्त के दिन जोधपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर आसाराम के आश्रम में रात के 10 बजे नाबालिग लड़की को इलाज के नाम पर पहुंचाया गया। उसे पिछले दरवाजे से आसाराम के कमरे में ले जाया गया जहां खुद आसाराम ने उसके कपड़े उतारे, और उसके पूरे शरीर के साथ खिलवाड़ किया।हालांकि पुलिस का जो दलिल है उसके मुताबिक लड़की के अधोवस्त्र (कमर के नीचे का कपड़ा) नहीं उतारा गया था इसलिये बलात्कार का मामला नहीं बनता है। वहीं लड़की ने अपने बयान में इस बात की पुष्टि भी कर दी है। लड़की के इकबालिया बयान के हवाले से जोधपुर पुलिस ने जो स्पष्टीकरण दिया है उसके मुताबिक नाबालिग लड़की को आसाराम ने मुख मैथुन करने के लिए कहा था जिसे करने से नाबालिग ने मना कर दिया।
लड़की के साथ काफी वक्त बिताने के बाद आसाराम ने उसे धमकी देते हुए बाहर जाने दिया और कहा कि किसी के सामने कुछ मुंह मत खोलना। लड़की के बयान के मुताबिक वह डर के मारे चिल्ला भी नहीं पा रही थी, और आखिर में उसने आसाराम के सामने हार मान ली। हालांकि इसके बाद भी लड़की आसाराम के साथ सहवास के लिए तैयार नहीं हुई। लड़की के इस बयान के बाद आसाराम की बदनामी भले ही हो मगर कानूनी तौर पर उन्हें बड़ी राहत मिल सकती है।
रविवार, 25 अगस्त 2013
सरकार चाहती है अनुसूचित जातियों को प्राइवेट सेक्टर में मिले आरक्षण
सरकार चाहती है अनुसूचित जातियों को प्राइवेट सेक्टर में मिले आरक्षण
Source : | 25/08/2013 | updated on :09:24:20
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को माना कि
निजी क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का
प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। लोकसभा में
संविधान (अनुसूचित जातियां:आदेश: संशोधन) विधेयक-2012पर हुई चर्चा का जवाब
देते हुए सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने सदस्यों की इस
चिंता से सहमति जतायी कि निजी क्षेत्र में नौकरियों में अनुसूचित जातियों
के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
इस विधेयक को सामाजिक न्याय मंत्री कुमारी सैलजा ने पांच अगस्त को पेश किया
था।
सैलजा ने बताया कि निजी क्षेत्र को इस संबंध में कई बार चिçटयां लिखी गयी हैं और सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र किसी न किसी तरह से खुद इस बात को महसूस करें कि यह कितना गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया तो इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते हैं। सैलजा के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उन्होंने अनुसूचित जातियों को सूची में शामिल किए जाने और कुछ जातियों को निकाले जाने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने की भाजपा के निशिकांत दुबे की मांग के संबंध में कहा कि यह एक पेचीदा मुद्दा है जिसे निपटाने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी जा सकती।
हालांकि मंत्री के आश्वासन के बाद दुबे ने इस संबंध में पेश किए अपने संशोधन को वापस ले लिया। इससे पहले चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि कौन अनुसूचित जाति का है और कौन नहीं, इस मुद्दे के समाधान के लिए एक नीति बने व न्यायपालिका में भी इस जाति के लोगों के लिए आरक्षण मिले। कांग्रेस के पीएल पूनिया ने कहा कि निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों को इस क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए। सपा के शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि एससी या एसटी को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही वे लोग एससी से एसटी या एसटी से एससी में जाने की मांग करते हैं। बसपा के बलिराम ने निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत बतायी।
http://www.aapkisaheli.com/news/govt-favours-reservation-to-scheduled-castes-in-private-sector-225-1377402860.html
सैलजा ने बताया कि निजी क्षेत्र को इस संबंध में कई बार चिçटयां लिखी गयी हैं और सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र किसी न किसी तरह से खुद इस बात को महसूस करें कि यह कितना गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया तो इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते हैं। सैलजा के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उन्होंने अनुसूचित जातियों को सूची में शामिल किए जाने और कुछ जातियों को निकाले जाने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने की भाजपा के निशिकांत दुबे की मांग के संबंध में कहा कि यह एक पेचीदा मुद्दा है जिसे निपटाने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी जा सकती।
हालांकि मंत्री के आश्वासन के बाद दुबे ने इस संबंध में पेश किए अपने संशोधन को वापस ले लिया। इससे पहले चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि कौन अनुसूचित जाति का है और कौन नहीं, इस मुद्दे के समाधान के लिए एक नीति बने व न्यायपालिका में भी इस जाति के लोगों के लिए आरक्षण मिले। कांग्रेस के पीएल पूनिया ने कहा कि निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों को इस क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए। सपा के शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि एससी या एसटी को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही वे लोग एससी से एसटी या एसटी से एससी में जाने की मांग करते हैं। बसपा के बलिराम ने निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत बतायी।
http://www.aapkisaheli.com/news/govt-favours-reservation-to-scheduled-castes-in-private-sector-225-1377402860.html
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