बड़ी आँखों की वजह से विलुप्त हो गए निएंडरथल
गुरुवार, 14 मार्च, 2013 को 09:08 IST तक के समाचार
प्राचीन निएंडरथल मानव की खोपड़ी
के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि वह प्रजाति इसलिए विलुप्त हो
गई क्योंकि उनकी आँखें मौजूदा मनुष्यों की तुलना में बड़ी थीं.
उनकी आँखें यूरोप की लंबी काली रातों में दूर तक
देखने के लिए बनी थीं. लेकिन इन बड़ी आँखों की कीमत उन्हें उच्च स्तरीय
विचार योग्य दिमाग को त्याग कर चुकानी पड़ी.इस अध्यन के बारे में रॉयल सोसायटी ऑफ़ बी जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
निएंडरथल- होमो सेपियंस की कहानी
"अपने दिमाग के दृश्य आधारित होने के कारण उनका शरीर पर काबू बेहतर रहा होगा वो दिख रही चीज़ों को बेहतर ढंग से समझ पाते थे लेकिन इसकी वजह से उनके दिमाग के वो हिस्से विकसित नहीं हो पाए जो बेहतर सोच देते हैं या सामाजिक संरचना करते हैं"
आयलीना पीयर्स
शोधकर्ताओं का परंपरागत रूप से मानना रहा है कि निएंडरथल के पूर्वज अफ़्रीका से आए थे और यूरोप की लंबी काली रातों और धुंधले दिनों में देखने के लिए उनके आँखें बड़ी होती गईं और दिमाग में जो हिस्सा दृष्टी को नियंत्रित करता है वह काफी बड़ा हो गया.
शोधकर्ता यह भी मानते आए हैं कि इनके जो पूर्वज अफ़्रीका में रह गए थे वो वहां रोशनी से लबरेज़ दिनों का आनंद उठाते रहे और उन्हें बड़ी आँखों की ज़रुरत नहीं पड़ी.
अफ़्रीका में रहने वाले यही मानव हमारे भी पूर्वज थे और उनका दिमाग विकसित होता गया और उसके बाद ही वो दुनिया में फैले.
सामाजिक नेटवर्क
आयलीना पीयर्स ने पाया कि क्लिक करें निएंडरथल की आँखों के कोटर काफी बड़े थे, ऊपर से लेकर नीचे तक करीब 6 मिलीमीटर लंबे.यूं तो यह लंबाई काफी बड़ी नहीं मालूम देती लेकिन इसकी वजह से निएंडरथल दिख रहे दृश्यों का बेहतर आकलन कर पाते थे. आयलीना पीयर्स ने बीबीसी को बताया " अपने दिमाग के दृश्य आधारित होने के कारण उनका शरीर पर काबू बेहतर रहा होगा वो दिख रही चीज़ों को बेहतर ढंग से समझ पाते थे लेकिन इसकी वजह से उनके दिमाग के वो हिस्से विकसित नहीं हो पाए जो बेहतर सोच देते हैं या सामाजिक संरचना करते हैं."
लंदन के नैचरल हिस्ट्री म्युज़ियम में इसी तरह का शोध कर रहे प्रोफ़ेसर क्रिस स्ट्रिंगर आयलीना पीयर्स की बात की तस्दीक करते हैं.
प्रोफ़ेसर स्ट्रिंगर कहते हैं " हम ऐसा मान सकते हैं कि दिमाग के सोचने वाले हिस्सों के छोटे होने के कारण क्लिक करें निएंडरथल सीमित रहे होंगे साथ ही वो बड़े समूह नहीं बना पाए होंगे क्योंकि यह सब करने के लिए एक बड़ा दिमाग ज़रूरी है."
पुरातात्विक सबूत
इस बात के पुरातात्विक सबूत मौजूद हैं कि निएंडरथल के साथ ही रह रहे होमोसेपियंस के पास सुईयां थीं जिनसे वो कपड़े सिल रहे थे. यह कपड़े गर्म होते थे. जबकि निएंडरथल चीज़ों को महज़ लपेटते थे."अगर आप प्रतिक्रया देने में, पड़ोसियों से मदद लेने में और जानकारी बांटने में महज़ कुछ प्रतिशत ही बेहतर हों तो यह आपके जीवन और मरण के लिए बहुत बड़ा फर्क पैदा कर देता है"
प्रोफ़ेसर क्रिस स्ट्रिंगर
हॉलिवुड की फ़िल्मों में निएंडरथल को पशुवत और क्रूर बताया जाता रहा है. इस अध्यन से जुड़े डॉक्टर रॉबिन डनबार का कहना है “निएंडरथल इतना बुरे नहीं थे बस वो होमोसेपियंस की जितना अक्लमंद नहीं थे. जो अंतर था बस वो हिम युग में उनके खिलाफ गया”.
बंदरो पर किए गए शोध बताते हैं कि आँखों का आकार दिमाग में दिखाई दे चीज़ों के आकलन के लिए लगने वाले हिस्से के बराबर होता है. शोधकर्ता ऐसा मान रहे हैं कि यह बात निएंडरथल के मामले में भी यह बात सही होगी.
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