क्या सेक्स के बिना जीवन संभव है?
बुधवार, 6 मार्च, 2013 को 08:51 IST तक के समाचार
ब्रिटेन में कैथोलिक चर्च के एक
और वरिष्ठ सदस्य का नाम सेक्स स्कैंडल में आने के बाद वहां ब्रह्मचर्य को
लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं. क्या बिना
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सेक्स जीवन गुजार पाना संभव है?
अंग्रेजी में ब्रह्मचर्य को सेलीबेसी कहा जाता है
और ये शब्द लैटिन भाषा से आया है जो वहां अविवाहित के लिए इस्तेमाल होता है
और इसका मतलब होता है कि स्थायी रूप से बिना सेक्स रहना.उन पर काफी समय से यौन दुराचार के आरोप लगते रहे हैं. बतौर कैथोलिक पादरी उन्हें हर तरह की यौन गतिविधियों से अलग रहना था और खुद को पूरी तरह ईश्वर और चर्च के अनुयायियों को समर्पित करना था.
बौद्ध भिक्षुओं से भी ऐसी ही उम्मीद की जाती है. इन दोनों ही धर्मों में हस्तमैथुन को भी ब्रह्मचर्य का उल्लंघन माना जाता है.
'असामान्य अवस्था'
धर्म में विश्वास न रखने वाले लोगों को ये बातें समझने में मुश्किल लग सकती हैं.सभी कैथोलिक पादरी पुरूष होते हैं. हालांकि वहां ननों के रूप में ब्रह्मचारी महिलाएं होती हैं लेकिन ये बहस ज्यादातर पुरूष ब्रह्मचर्य को लेकर ही होती है.
ब्रह्मचर्य का पालन
- महात्मा गांधी ने 1906 में संकल्प लिया था कि वो सेक्स से दूर रहेंगे.
- उन्होंने ब्रह्मचर्य को अपने जीवन का अंग बना लिया जिसका मकसद अपनी इच्छाओं को खत्म करना था.
- ऐसा कहा जाता है कि अपने अनुशासन को परखने के लिए वो महिलाओं के साथ सोते थे लेकिन सेक्स नहीं करते थे. वो इसे लाभदायक प्रयोग बताते थे.
ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय मे एंडोक्रिनॉलॉजी के प्रोफेसर जॉन वास कहते हैं कि पुरूष टेस्टोस्टेरोन यानी वृषणों से संचालित होते हैं जिनसे सेक्स की इच्छा उत्पन्न होती है. वहीं महिलाएं टेस्टोस्टेरोन और ओएस्ट्रोजेन के कम स्तर वाले मिश्रण से संचालित होती हैं.
वो कहते हैं, “मैं तो कहूंगा कि ब्रह्मचर्य पूरी तरह से असामान्य अवस्था है.”
वो कहते हैं कि लगभग 80 से 90 फीसदी पुरुष हस्तमैथुन करते हैं और संभव है कि पादरी भी ऐसा करते हों.
शोध बताते हैं कि जो पुरुष ज्यादा स्खलित होते हैं, उनमें प्रोस्टेट क्लिक करें कैंसर होने की संभावना कम होती है. उनके अनुसार, “आप कह सकते हैं कि ब्रह्मचारी रहना कोई ज्यादा सेहतमंद बात नहीं है.”
कितना है संभव
बहुत सारे लोग जीवन भर बिना सेक्स के रहने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं.जिम्मी ओ’ब्राइन ने पादरी का जीवन छोड़ कर अपना परिवार शुरू किया. वो बताते हैं कि युवावस्था में ब्रह्मचारी रहना कितना मुश्किल होता है. उनके अनुसार, “आपको अपनी इच्छाओं के खिलाफ लड़ना पड़ता है. बहुत सारे लोगों के लिए ये हर रोज़ लड़ी जाने वाली जंग है, जबकि अन्य इससे इतने प्रभावित नहीं होते.”
"हस्तमैथुन हर कैथोलिक के लिए वर्जित है. कारण ये है कि ये हमें ज्यादा खुदगर्ज, ज्यादा अंतर्मुखी बनाता है और आप लोगों के लिए अपने दिल को ज्यादा नहीं खोल पाते हैं."
फादर स्टीफन वांग
वो कहते हैं, “मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि कुछ लोग इस पर बड़ी खुशी से अमल कर पाते हैं. कभी-कभी ये संघर्ष लगता है. लेकिन ये कहना कि जीव वैज्ञानिक रूप से आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, इसे मैं सही नहीं मानता.”
ब्रिटेन में एलेन हॉल सेमिनरी के फादर स्टीफन वांग कहते हैं कि ये एक तरह का त्याग है जिसे बहुत से पादरी कर लेते हैं. उनके अनुसार, “जब लोग आंतरिक रूप से परिपक्व हों और उनका विश्वास पक्का हो तो ये संभव है.”
उनकी नजर में ये बिल्कुल वैसी ही चुनौती है जैसे कि एक पति का अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहना.
नए सिरे से विचार की जरूरत
वांग कहते हैं, “किसी भी ईसाई के लिए हस्तमैथुन, शादी से पहले सेक्स और पत्नी के अलावा किसी और से सेक्स करना गलत है और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए.”वो बताते हैं, “हस्तमैथुन हर कैथोलिक के लिए वर्जित है. कारण ये है कि ये हमें ज्यादा खुदगर्ज, ज्यादा अंतर्मुखी बनाता है और आप लोगों के लिए अपने दिल को ज्यादा नहीं खोल पाते हैं.”
कार्डिनल ओ’ब्रायन समेत बहुत से कैथोलिक मानते हैं कि ब्रह्मचर्य की अवधारणा पर नए सिरे से विचार किया जाना चाहिए.
लेकिन विश्वपाणी कहते हैं कि समस्या ब्रह्मचर्य नहीं है, बल्कि जिस तरह से इसे जीवन पर थोपा जाता है, दिक्कत उसमें है.
इस बात को लेकर भी सवाल उठते हैं कि क्यों कुछ लोगों को ब्रह्मचारी जीवन बिताना पड़ता है. कम सहिष्णु माने जाने वाले समाजों में पुरूष समलैंगिक पादरी बनने का रास्ता चुनते हैं क्योंकि वहां वो खुद को सेक्स से बचा सकते हैं.
जिम्मी ओ’ब्रायन मानते हैं कि क्लिक करें नए पोप को ब्रह्मचर्य के मुद्दे पर विचार करना चाहिए. जिम्मी ओ’ब्रायन को अब शादी किए 23 साल हो गए हैं और वो समझते हैं कि उन्होंने सही फैसला लिया था.
लेकिन वांग कहते हैं कि लोग ब्रह्मचर्य का गलत मतलब निकालते हैं, जबकि ये तो ईश्वर के साथ अनूठा संबंध बनाता है. उनके अनुसार, “ये दमन नहीं है. ये भी एक तरह से प्यार की कला सीखने जैसा है.”
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