सोमवार, 11 मार्च 2013

मानव तस्‍करी की बढ़ती समस्‍या

देश में मानव तस्‍करी की बढ़ती समस्‍या पर ध्‍यान आकर्षित करना जरूरी हो गया है.
इस समस्‍या का सामना केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकारों और नागरिक संगठनों के मिलेजुले प्रयासों से प्रभावी तौर पर किया जा सकता है.
संसद द्वारा पारित बाल यौन अपराध रक्षा विधेयक 2012 के प्रावधानों से भी मानव तस्‍करी की समस्‍या का सामना करने में मदद मिलेगी. इसमें यौन अपराधों से बच्‍चों की रक्षा के लिए मानव तस्‍करी को इससे जोड़ कर देखा गया है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सचिव नीला गंगाधरण कहती हैं कि मानव तस्‍करी रोकने के लिए अब पर्याप्‍त विधायी तथा संरचनात्‍मक व्‍यवस्‍था की गयी है.
उनके अनुसार इसकी रोक, संरक्षा तथा दंड की व्‍यवस्‍था कर दी गयी है लेकिन मानव तस्‍करी रोकने के लिए इन्‍हें प्रभावी तौर पर लागू करने की आवश्‍यकता है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किए गए उपायों के साथ ही गृह मंत्रालय, श्रम मंत्रालय और विदेश मंत्रालय तथा राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों द्वारा परिपूरक उपाय किया जाना भी आवश्यक है.
इस क्षेत्र में व्‍यापक रूप से काम कर रहे नागरिक संगठनों को और भी प्रयास करना चाहिए. उनके प्रतिनिधियों, यूनिसेफ, गैर-सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों को भी सरकार को सुझाव और सिफारिशें देते रहना चाहिए ताकि विधायी और निगरानी उपायों को और मजबूत कर मानव तस्‍करी का सामना किया जा सके.
ज्ञात हो कि वर्ष 2008 में उज्‍जवला योजना आरंभ की गयी थी जो मानव तस्‍करी रोकने और इसका सामना करने की एक समग्र योजना है. इसके तहत उन एजेंसियों को धन और सहायता उपलब्‍ध कराई जाती है जो मानव तस्‍करी रोकने, बचाव, पुनर्वास, फिर से जोड़ने तथा प्रभावितों को उनके मूल स्‍थान पर भेजने के काम में जुटे हुए हैं.
वर्ष 2008 से 19 राज्‍यों में 108 उज्‍जवला परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है. इस योजना को प्रभावी तौर पर अमल में लाने के लिए राज्‍यों को और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, उज्‍जवला परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है.
गृह मंत्रालय की अतिरिक्‍त सचिव बी भामथी कहती हैं कि घरेलू और सीमापार मानव तस्‍करी को रोकने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कई पहल की गयी है. कई राज्‍यों में मानव तस्‍करी निरोधी इकाइयां गठित की गयी हैं और राज्‍यों को इस बारे में उनके प्रयासों के लिए संसाधन मुहैया कराए गए हैं.
श्रम मंत्रालय को भी बाल श्रम वाले इलाकों में कार्यरत बच्‍चों के कल्‍याण, बंधुआ मजदूरों की मुक्ति संबंधी योजनाएं तथा बाल श्रम के विरुद्ध जागरूकता संबंधी कई प्रभावी कदम उठाने पड़ेंगे.
मानव तस्‍करी का सामना करने के लिए केन्‍द्रीय सलाहकार समिति का गठन 1994 में किया गया था और महिला एवं बाल विकास सचिव को इसका अध्‍यक्ष बनाया गया था. मानव तस्‍करी रोकने के मुद्दे पर 24 मई को दिल्‍ली में केन्‍द्रीय सलाहकार समिति की बैठक हुई.
विशालजीत बनाम भारत सरकार के मुकदमें में सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेश के बाद इस समिति का गठन किया गया था. उच्‍चतम न्‍यायालय ने अपने आदेश में मानव तस्‍करी, खासतौर पर बाल तस्‍करी के मुद्दों को देखने के लिए केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तरों पर समिति के गठन का आदेश दिया था. 

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