एक भूकंप जिससे अंतरिक्ष तक हिल उठा...
सोमवार, 11 मार्च, 2013 को 07:21 IST तक के समाचार
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जापान में दो साल पहले आए
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भूकंप की तीव्रता की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके
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झटके अंतरिक्ष में भी महसूस किए गए थे.
वैज्ञानिकों का कहना है कि 11 मार्च 2011 को आए इस भूकंप की तरंगें वायुमंडल में ‘गोके उपग्रह’ ने रिकॉर्ड किया था.इस भूकंप की तीव्रता क्लिक करें रिक्टर स्केल पर नौ बताई गई थी.
‘गोके उपग्रह’ के अति संवेदनशील उपकरण क्लिक करें सूक्ष्म वायु तरंगों से गुजरकर आने वाली हलचलों की पहचान करने में समर्थ था.
जमीन से 255 किलोमीटर अंतरिक्ष में उन हलचलों की मौजूदगी अभी भी बरकरार है.
‘गोके उपग्रह’
"अगर घनत्व में किसी तरह की छोटी तरंगों को पता चलता है तो बिना किसी संदेह के इस नतीजे पर पहुंचना मुश्किल होगा कि यह भूकंप की वजह से ही हुआ था. लेकिन इस मामले में वास्तव में घनत्व में महत्वपूर्ण विचलन होता है और यह धरती के अलग अलग छोरों पर दर्ज किया गया है"
डॉक्टर फ्लोबर्गहैगन, अनुसंधानकर्ता
लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि भूंकप के बड़े झटके सूक्ष्म आवृत्ति वाले ध्वनि तरंगों को पैदा करती हैं.
इस तरह की आवाजों को मनुष्य के कान सुन नहीं पाते और हाल तक किसी अंतरिक्ष की कक्षा में मौजूद किसी यान में इसे दर्ज कर पाने की क्षमता भी नहीं थी.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (एसा) के डॉक्टर रूने फ्लोबर्गहैगन ने कहा, “हमने दूसरे उपग्रहों की मदद से इन तरंगों की तलाश पहले भी की और ऐसा कुछ नहीं पाया और मुझे लगता है कि हमें अविश्वसनीय रूप से एक बेहतरीन यंत्र की जरूरत थी.”
इस अभियान के प्रबंधक ने बीबीसी को बताया, “पूर्व में मौजूद किसी यंत्र की तुलना में ‘गोके उपग्रह’ का त्वरणमापी यंत्र तकरीबन सौ गुणा अधिक संवेदनशील है और हमने प्रशांत क्षेत्र और यूरोप के ऊपर से गुजरती इन ध्वनि तरंगों की पहचान एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार की.”
वायु कणों की धीमी रफ्तार
भूकंप की वजह से पैदा हुई ध्वनि तरंगों ने वायु कणों की रफ्तार धीमी कर दी थी.
जमीन से 255 किलोमीटर की ऊंचाई पर इनकी मौजूदगी भले ही बेहद कंमजोर थी पर गोके उपग्रह के लिए इन्हें दर्ज करना मुश्किल नहीं था.
अंतरिक्ष यान ‘एसा’ ने इन तरंगों को प्रशांत क्षेत्र के ऊपर गुजरने के दौरान दर्ज किया था
अनुसंधान से जुड़े डॉक्टर फ्लोबर्गहैगन ने कहा, “अगर घनत्व में किसी तरह की छोटी तरंगों को पता चलता है तो बिना किसी संदेह के इस नतीजे पर पहुंचना मुश्किल होगा कि यह भूकंप की वजह से ही हुआ था. लेकिन इस मामले में वास्तव में घनत्व में महत्वपूर्ण विचलन होता है और यह धरती के अलग अलग छोरों पर दर्ज किया गया है.”
‘गोके उपग्रह’ में मौजूद ईंधन अब खत्म होने की कगार पर है और इसका अभियान भी अब समाप्त होने को है.
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