ईश्वर कण की खोज के 'करीब' पहुंचे वैज्ञानिक
शुक्रवार, 15 मार्च, 2013 को 04:08 IST तक के समाचार
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सर्न प्रयोगशाला में लार्ज हैल्ड्रोन कोलाइडर परियोजना पर काम
कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई 2012 में जिस कण की रुपरेखा पेश की
गई, उसी के हिग्स बोसोन यानी
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ईश्वर कण होने की संभावना बढ़ती जा रही है.
लंबे समय से हिग्स को ही वो माध्यम समझा जाता रहा
है जिसके कारण कणों को भार मिलता है. हिग्स दशकों से उन वैज्ञानिकों की
तवज्जो का केंद्र रहा है जो
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दुनिया को चलाने वाले तत्व को खोज रहे हैं.
इटली में मैरिओंड बैठक के नतीजों से पता चलता है कि इस कण का 'घुमाव' हिग्स के अनुरूप ही दिखता है.
'हिग्स जैसा'
हिग्स को खोजने के लिए हो रहे दो प्रयोगों अटलस और सीएमएस की टीमों ने न सिर्फ इस कण के अस्तित्व बल्कि इसकी प्रकृति को समझने के लिए जुलाई में जो सामग्री उपलब्ध थी, उससे भी से ढाई गुना ज्यादा जानकारी का विश्लेषण किया.इस दौरान ये निष्कर्ष निकला कि ये कण बोसोन परिवार का ही है, लेकिन वैज्ञानिकों ने जुलाई के बाद से बेहद सावधानी का परिचय देते हुए इसे “हिग्स जैसा” ही कहा है.
सूक्ष्माणुओं के इस समूह की पहचान कुछ खास गुण हैं जिनमें “घुमाव” और “एकरूपता” भी शामिल है. और नए कण के इन गुणों का स्पष्टता से निर्धारण ये तय करेगा कि क्या यही हिग्स है जिसकी लंबे समय से खोज की जा रही थी.
"ये भौतिकी में नई कहानी की शुरुआत है. 4 जुलाई के बाद से भौतिकी बदल गई है. हमारे सामने को जो अस्पष्ट सा सवाल है, वो क्या वहां कुछ और है."
टोनी वाइडबर्ग, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी
'बदलती भौतिकी'
इसका सरलतम स्वरूप वैज्ञानिक सिद्धांतों को मजबूत करेगा और निश्चित तौर पर कण के अधिक 'आकर्षक' संस्करण विज्ञान में नए रास्ते खोलेंगे.ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में भौतिकशास्त्री और एटलस प्रयोग से जुड़े टोनी वाइडबर्ग कहते हैं, “ये भौतिकी में नई कहानी की शुरुआत है. 4 जुलाई के बाद से भौतिकी बदल गई है. हमारे सामने को जो अस्पष्ट सा सवाल है, वो है क्या वहां कुछ और है.”
सीएमएस के प्रवक्ता जो इंसादेला का कहना है, “2012 के पूरे आंकड़ों के साथ शुरुआती नतीजे शानदार हैं और मेरे लिए ये स्पष्ट है कि हमारा वास्ता हिग्स बोसोन से पड़ रहा है, हालांकि ये सझमने के लिए हमें लंबा सफर तय करना होगा कि ये किस तरह का हिग्स बोसोन है.”
वैसे वैज्ञानिक मानते हैं कि इस बारे में पड़ताल करने के लिए अभी और जानकारी की जरूरत होगी.
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