ओपेन बजट सर्वे 2010 नामक
दस्तावेज के
अनुसार,
· स्वतंत्र
विशेषज्ञों द्वारा तैयार ओपेन बजट सर्वे 2010 में कहा गया है कि इस
सर्वेक्षण में शामिल 94 देशों
में से 74 देश
राष्ट्रीय बजट के मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही
जैसे बुनियादी मानकों को सुनिश्चित करने में असफल रहे। इससे
सार्वजनिक धन के अपव्यय का रास्ता खुलता है।
·
दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर इस सर्वेक्षण में बताया गया है
कि अध्ययन में
शामिल 94 देशों
में से महज 7 देशों
ने ही अपने बजट के बारे में व्यापक सूचनाएं मुहैया करायीं जबकि 40 देशों
ने सूचनाएं दीं तो भी वे सार्थक नहीं थीं।
·
जिन देशों का अध्ययन किया गया उन सब का औसत ओपन बजट इंडेक्स 100 अंकों
में कुल
42 अंकों
का रहा।
·
दक्षिण अफ्रीका,
न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस,
नार्वे, स्वीडन
और अमेरिका
बजट के मामले में पारदर्शिता बरतने में शीर्ष पर रहे जबकि इस मामले में सबसे
खराब प्रदर्शन चीन, सऊदी
अरब, गुयाना, सेनेगल और नवजनतांत्रिक
देश इराक का रहा। इन देशों ने अपने नागरिकों को बजट के बारे में कोई सूचना
नहीं दी।
·
भारत का ओपन बजट इंडेक्स साल 2006 में 53 था
जो 2008 में
बढ़कर 60 और
2010 में
बढ़कर 67 हो
गया।
·
कुछ समृद्ध देश मसलन गुआया(प्रति व्यक्ति जीडीपी साल 2009 में US$18,600), सऊदी अरब ($23,221),
त्निनिडाड और टोबैगो ($19,818),
और मलेशिया ($13,770) का ओपन बजट इंडेक्स पर प्रदर्शन अपेक्षाकृत
कम आमदनी वाले देशों मसलन भारत (प्रति व्यक्ति जीडीपी $2,941), श्रीलंका ($4,769) और
यूक्रेन की तुलना में खराब रहा।
·
इंडेक्स में जिन 14 देशों का प्रदर्शन
सबसे लचर रहा उनका औसत अंक 2006 में 25 था जो 2010 में
बढ़कर 40 हो
गया।
·
सर्वे में बजट की पारदर्शिता और जवाबदेही के अंतर्राष्ट्रीय
मानक अमल में लाये
गए। स्वतंत्र बजट विशेषज्ञ द्वारा प्रत्येक देश के बारे में जानकारी एक प्रश्नावली
के जरिए जुटायी गई। यह विशेषज्ञ किसी भी भांति संबंधित सरकार के कामों से
जुड़ा हुआ नहीं था।
·
सर्वेक्षण में शामिल 94 में से केवल 20 देश
ऐसे थे जिनका इंडेक्स पर अंक 60 या उससे अधिक था। इंडेक्स में कम से कम 60 अंक
पाने वाले देशों के बारे माना गया है कि वे अपने
नागरिकों को बजट के बारे में इतनी सूचनाएं देते हैं कि नागरिक सरकारी
आमदनी और खर्च के ब्यौरे के बारे में एक समग्र तस्वीर बना सके।
·
तकरीबन एक तिहाई देशों ने कुछ ना कुछ सूचनायें दीं और उनका
स्कोर 41 से
60 के
बीच रहा। यह भी सच है कि मात्र इतनी भर सूचना से बजट को सांगोपांग समझना संभव नहीं
था।
भारत
करप्शन परशेप्शन इंडेक्स में 3.3 अंकों
के साथ 87 वें
स्थान पर है जबकि चीन 3.5 अंकों
के साथ 78 वें
स्थान पर। पाकिस्तान को
2.3 अंकों
के साथ 143 वें
पादान पर स्थान मिला है जबकि बांग्लादेश को
2.4 अंकों के साथ 134
वां और श्रीलंका को 3.2
अंको के साथ 91 वां
स्थान मिला
है। कुल 178 देशों
का आकलन किया गया है।
• इस
सूचकांक का निर्माण दस संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत 13
दस्तावेजों के आंकड़ों का इस्तेमाल करके किया गया है। ये सभी
दस्तावेज घूसखोरी
की घटनाओं की बारंबारता और घूसखोरी के आकार को ध्यान में रखकर प्रशासनिक
और राजनयिक क्षेत्रों में मौजूद भ्रष्टाचार का आकलन करते हैं।
• इस सूचकांक में अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, इकॉनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट, फ्रीडम हाऊस, ग्लोबल इनसाइट और विश्वबैंक के आंकड़ा-स्रोतों का इस्तेमाल किया गया।
• सूचकांक में दस में से दस अंक पाने वाले देश को सबसे कम भ्रष्ट देश का दर्जा दिया गया है। दस अंकों के इस पैमाने को आधार मानें तो कुल 178 देशों में से तकरीबन एक तिहाई देश पाँच से भी कम अंक(यानी गहन भ्रष्टाचार का संकेत) हासिल कर सके हैं जिसमें भारत और चीन जैसे देश भी शामिल हैं।
• साल 2010 के सूचकांक में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और सिंगापुर 9.3 अंकों के साथ सर्वाधिक कम भ्रष्टाचार वाले देशों में शुमार किए गए हैं। जिन देशों में सरकारे अस्थिर हैं मसलन अफगानिस्तान, म्यांमार और सोमालिया उन्हें 1.4 अंकों के साथ सर्वाधिक भ्रष्ट देशों की श्रेणी में रखा गया है। सूचकांक में सोमालिया 1.1 अंकों के साथ सबसे नीचे है।
• इस सूचकांक में अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, इकॉनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट, फ्रीडम हाऊस, ग्लोबल इनसाइट और विश्वबैंक के आंकड़ा-स्रोतों का इस्तेमाल किया गया।
• सूचकांक में दस में से दस अंक पाने वाले देश को सबसे कम भ्रष्ट देश का दर्जा दिया गया है। दस अंकों के इस पैमाने को आधार मानें तो कुल 178 देशों में से तकरीबन एक तिहाई देश पाँच से भी कम अंक(यानी गहन भ्रष्टाचार का संकेत) हासिल कर सके हैं जिसमें भारत और चीन जैसे देश भी शामिल हैं।
• साल 2010 के सूचकांक में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और सिंगापुर 9.3 अंकों के साथ सर्वाधिक कम भ्रष्टाचार वाले देशों में शुमार किए गए हैं। जिन देशों में सरकारे अस्थिर हैं मसलन अफगानिस्तान, म्यांमार और सोमालिया उन्हें 1.4 अंकों के साथ सर्वाधिक भ्रष्ट देशों की श्रेणी में रखा गया है। सूचकांक में सोमालिया 1.1 अंकों के साथ सबसे नीचे है।
ट्रान्सपेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा
प्रस्तुत 2010 करप्शन
परशेप्शन इंडेक्स नामक दस्तावेज के अनुसार,
• ट्रांसपेरेन्सी
इंटरनेशनल के इस दस्तावेज में उन 36
देशों की भी चर्चा है जो ओईसीडी देशों के बीच हुए
एंटी-ब्राईबरी कन्वेंशन के
अधोहस्ताक्षरी हैं। इसके तहत विदेशी अधिकारियों को घूस देने की मनाही है।
दस्तावेज के अनुसार इन 36 देशों
में से 20 में
यह कानून अमल में नहीं लाया
गया है।
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